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डेढ दशक से फरार अभयुक्त गिरफ्तार

 


हल्दी, बलिया । पुलिस अधीक्षक बलिया निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियान के क्रम में स्थानीय पुलिस ने आजीवन कारावास से दंडित जेल से भगौड़ा 25 हजार रुपये का इनमिया अपराधी को शुक्रवार के दिन गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है।

     शुक्रवार को हल्दी थानाध्यक्ष राज कुमार सिंह अपने हमराहियों के साथ गैंगेस्टर एक्ट व अन्य अपराधों में 10000 रुपये का इनमिया पप्पू यादव पुत्र कमला यादव निवासी सैईया का डेरा थाना शाहपुर जिला आरा ,बिहार तथा सेन्ट्रल जेल वाराणसी से  फरार 25000/ रुपये का घोषित ईनामिया बन्दी अपराधी अनिल सिंह पुत्र स्व0 शिवशंकर सिंह निवासी गायघाट थाना हल्दी जनपद बलिया की गिरफ्तारी के मद्देनजर अपराधियों के घर तथा अन्य स्थानों पर तलासी ले रहे थे।कि मुखबिर से सूचना मिली कि सेन्ट्रल जेल वाराणसी से फरार बन्दी अभियुक्त क्षेत्र के गायघाट डाक बंगला के पास सड़क पर खड़ा है जो जो कही जाने के फिराक में है।थानाध्यक्ष द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए घेरा बंदी कर मुखबिर के इशारे पर एक व्यक्ति को पकड़ लिया गया।पकड़े गए व्यक्ति से पूछ ताछ करने पर व्यक्ति ने अपना नाम अनिल सिंह पुत्र स्व0 शिवशंकर सिंह निवासी गायघाट थाना हल्दी जनपद बलिया बताया।थानाध्यक्ष राज कुमार सिंह ने बताया कि सेन्ट्रल जेल वाराणसी से दिनांकः 13.04.2006 से फरार बन्दी भगोड़ा अभियुक्त है । गिरफ्तार अभि0 के सम्बन्ध में आवश्यक विधिक कार्यवाही किया जा रहा है।गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम मे थानाध्यक्ष के साथ उ0नि0 शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय,का0 शिवाजी तोमर, श्रवण कुमार ,का0 विनय प्रताप सिंह,का0 अंगद सिंह ,का0 विष्णु प्रताप सिंह,का0 हर्षित पाण्डेय रहे।



अधिकारी को मारा था गोली


हल्दी। वाराणसी सेंट्रल जेल से भगौड़ा अपराधी अनिल सिंह ने बताया कि मेरी नौकरी बीएसएफ में 1990 में लगी थी।मैं 1994 में जम्मू कश्मीर में तैनात था।सीएचएम आये दिन मुझे ड्यूटी करने के बाद दुबारा क्वाटर गार्ड की ड्यूटी लगा देता था।मैंने दुबारा ड्यूटी करने से इनकार कर दिया जिसकी वजह से बात बहुत आगे बढ़ गयी।और मैने मानसिक तनाव में आकर उसे गोली मार दिया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी।मैने अपने आप को यूनिट में जाकर सरेण्डर कर दिया।यह घटना 06 जनवरी 1994 की है।उसके बाद मेरे ऊपर हत्या करने के जुर्म ने आजीवन कारावास की सजा हुई।और जम्मू जेल भेज दिया गया।उसके बाद कलकत्ता जेल भेज गया।बाद में मुझे बाराणसी सेंट्रल जेल भेज दिया गया। जहाँ से 12 वर्ष की सजा काटने के बाद पैरोल पर मैं घर आया।और तब से मैं दुबारा जेल ही नही गया।


रिपोर्ट एस के द्विवेदी

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