बारिश के मौसम में करें त्वचा की देखभाल- रहें सतर्क
रिपोर्ट : धीरज सिंह
- कुछ समान्य तरीके अपनाकर कर सकते हैं त्वचा की सुरक्षा
- बारिश और उमस भरे मौसम में फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का बढ़ जाता है खतरा
बलिया : बारिश का खुशनुमा मौसम अपने साथ अक्सर उमस लेकर भी आता है। ऐसे मौसम में त्वचा पर फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। उमस के दौरान निकलने वाला पसीना त्वचा पर होने वाले इंफेक्शन को बढ़ा देता है। इस मौसम में घमोरियां (हीट रैश) के साथ ही दो उंगलियों के बीच में सूजन, अंडर आर्म्स और जांघों में जलन और खुजली होना, दाद और बालों का झड़ना जैसी कई समस्याएं हो जाती हैं। जिला अस्पताल में कार्यरत चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ० दीपक गुप्ता कहते हैं कि बारिश और उमस भरे मौसम में कुछ सामान्य तरीकों को अपना कर आप अपनी त्वचा की देखभाल करने के साथ ही इन सभी परेशानियों से बच सकते हैं। गर्मी और उमस भरे मौसम में हल्के रंग के और कॉटन के ढीले कपड़े पहनें। कपड़े साफ-सुथरे हों। धूप में निकलते समय सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
घमोरियां :- लाल रंग के दाने में उत्पन्न होने वाली यह समस्या पसीने से होती है, जिससे रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। घमोरिया खत्म होने में कुछ दिन लगते हैं। खुजली करने पर इनका इंफेक्शन बढ़ता है, इसलिए कोशिश करें की हल्के कॉटन या लिनन के कपड़े पहनें। खुजली आने पर कैलेमाइन लोशन का इस्तेमाल करें।
नेल इंफेक्शन :- बारिश के मौसम में कई बार नेल इंफेक्शन हो जाता है। ऐसे में हमारे नाखून सुस्त और फीके दिखाई देते हैं। बड़े नाखून रखने से बचें, क्योंकि इस सीजन में नाखून में गंदगी भर जाती है, जिससे फंगल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी समस्या होने पर एंटी-फंगल क्रीम या पाउडर का इस्तेमाल करें।
रिंगवार्म :- ऐसे में स्किन पर लाल रंग के धब्बे पड़ने के साथ ही खुजली की भी समस्या हो जाती है। इस मौसम में ऐलोवेरा, त्वचा पर उत्पन्न होने वाले इंफेक्शन के लिए काफी लाभकारी होता है। इसके अलावा आप घर पर बेसन, दूध और गुलाब जल का मिश्रण तैयार कर प्रयोग में ला सकते हैं। नहाते समय एंटी-फंगल साबुन, और टैलकम पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
एथलीट फुट :- पैरों में फिट न आने वाले जूते पहनने से कई बार फंगल इंफेक्शन हो जाता है। बारिश के मौसम में प्लास्टिक, लेदर या कैनवास जूते पहनने से बचें। इनकी जगह चप्पल या फ्लिप-फ्लॉप पहनने की कोशिश करें, जिससे आपके पैरों को हवा लग सके। पैरों को साफ और सूखा रखें और धुले हुए कॉटन के मोजें पहनें।
चिकित्सक से परामर्श लेकर ही इलाज शुरू करें।
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