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हरितालिका तीज : अखण्ड सौभाग्य प्राति के लिए सुहागिन महिलाएं करेंगी भगवान शिव पार्वती की अराधना

 


रतसर (बलिया ) पर्वो, त्योहारों, पुरानी लोक कलाओं एवं संस्कृतियों के इस देश में यहां के लोग चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति बिरादरी से संबद्ध हों इन्हे मनाने, निर्वहन करने से कदापि पीछे नही रहते। सच तो यह है कि सांस्कृतिक एवं धार्मिक परम्पराओं से संबद्ध इस देश के त्योहारों के विरासत को महिलाओं ने श्रद्धा भक्ति भावों सें जीवंत बनाए रखा है।

इसी क्रम में प्रत्येक वर्ष भाद्र पद शुक्ल तृतीया को मनाया जाने वाला महिलाओं का अति महत्वपूर्ण हरितालिका तीज व्रत है। इसका प्राचीन काल से ही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि इस व्रत को विवाह से पूर्व करने से मनोवांछित पति की प्राप्ति निसंदेह होती है तथा विवाह के बाद इस व्रत को करने से स्त्रियां अखण्ड सौभाग्यवती होती है तथा सभी प्रकार के सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

गौरतलब है कि इस क्रम में पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए लोग अब भी अपनी बेटी,बहनों के ससुराल तीज का सामान भेजते है। इसमें सुहाग की प्रतीक साड़ी व सिन्दूर सहित अन्य सामानों की प्रमुखता रहती है। ज्ञातव्य हो कि हरितालिका तीज का व्रत महिलाएं अपने पति के दीर्घजीवन के मंगल कामना के साथ करती है। पूरे दिन निर्जल रहकर तीज की कथा सुनती है। परंपरा एवं सामर्थ्य के अनुसार पुरोहित को दान दक्षिणा तथा पूजा के बाद पति का आशीर्वाद प्राप्त कर दुसरे दिन पारण करती है। सावां का सत्तू गुड़ ले उपलब्ध खाद्य वस्तुओं का सेवन करती है। तीज की यह प्राचीन परंपरा आज भी कायम है। कस्बे के अध्यात्मवेत्ता आचार्य पं.भरत जी पाण्डेय का कहना है कि इस वर्ष हरितालिका तीज नौ सितम्बर बृहस्पतिवार को पड़ रही है। उन्होंने बताया कि व्रत करने वालों को चाहिए कि सूर्योदय के पूर्व उठकर भगवान शिव एवं मां पार्वती का स्मरण करे फिर नित्यकर्म से निवृत्त होकर जहां पर शिव पार्वती का पूजन करना एवं कथा सुनना है वहां पर केला वंदनवार आदि से सुसज्जित मंडप ( छोटा सा) बनावें। पूजा के बारे में उन्होंने बताया कि कुश जल आदि से ऊं अंद्येह से लेकर अहं करिष्येत तक का संकल्प वाक्य पढ़कर संकल्प करे, फिर हाथ में अक्षत फूल लेकर मंदारमालाकुलिताल काये कपालमाला कित शेखराय दिव्यांबराये च दिगंबराये नमः शिवाय च नमः शिवाय मंत्र से ध्यान करे। आगच्छ देवि सर्वेश सर्व देवाश्चसंस्तुते,अतस्त्वां पूजयिष्यामि प्रसन्नाभाव पार्वती। मंत्र से आह्वान करना चाहिए। इसके बाद पंचामृत स्नान, शुद्धोदक स्नान कराकर वस्त्र का जोड़ा पहनावें, चन्दन, अक्षत, फूलमाला, धूप दीप जलाकर नैवेद्य चढ़ावे, इस प्रकार पूजा करने के बाद सौभाग्यचाप्यवैधव्यं पुत्रपौत्रादिक : सुखम,बहु पुण्यफलमं सर्वं ततः शांति च देहि में॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि पूजितासि महा देवि संपूर्णश्च तदस्तु में। इस मंत्र से प्रथिना करना चाहिए। 

हरितालिका तीज शुभ मुहूर्त :

पं.भरत पाण्डेय ने बताया कि पंचांग की गणना के अनुसार इस साल हरितालिका तीज पर सबसे शुभ रवियोग बन रहा है। माना जा रहा है कि यह योग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। यह योग 9 सितम्बर दोपहर 2 बजे से 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितम्बर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। वहीं हरितालिका तीज पर पूजा के लिए सबसे शुभ समय शाम को 5 बजकर 45 मिनट से रात को 8 बजकर 12 मिनट तक है। जिस वक्त हरितालिका तीज की पूजा की जाएगी उस वक्त रवि योग लगा रहेगा।


रिपोर्ट :धनेश पाण्डेय

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