Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

परिवार के हर सदस्य का एक दूसरे के प्रति त्याग ,समर्पण एवं प्रेम की भावना होनी चाहिए : नैन श्री प्रज्ञा जी

 


मनियर, बलिया । अगर हम नहीं सुधरे तो परिवार के सदस्यों को सुधारने का परिकल्पना करना व्यर्थ है। बिना सुधरे दुसरे को सुधारने की परिकल्पना करना हमारे दोहरे चरित्र को दर्शाता है। हमें अपने विचार, व्यवहार एवं आचरण में सुधार करना होगा तभी हमारे संतान का भी आचरण में सुधार होगा। उक्त बातें ज्ञान प्रकाश वैदिक जी ने मनियर परशुराम स्थान पर आर्य समाज द्वारा तीन दीवसिय वेद कथा एवं चतुर्वेद शतकम द्वारा चल रहे महायज्ञ के दौरान सोमवार की रात में  प्रवचन के दौरान कहा ।उन्होंने परिवार एवं फैमिली की अलग अलग ब्याख्या स्पष्ट करते हुए कहा कि परिवार का मतलब परि +वार यानी परि मतलब चारों ओर का घेरा एवं वार का मतलब छाया ।यानी परिवार के सदस्यों का पूरे परिवार पर छत्रछाया हो उसे परिवार कहते हैं।वहीं फैमिली का मतलब जब तक उससे फायदा है वह फैमिली है।आज हमें परिवार बनाने की जरूरत है न कि फैमिली । परिवार के हर सदस्य का एक दूसरे के प्रति त्याग ,समर्पण एवं प्रेम की भावना होनी चाहिए जो भावना भरत का राम के प्रति था। देवरिया जिला से पधारी नैन श्री प्रज्ञा जी ने कहा कि हम दस हजार का मोबाइल तो ले लेते हैं लेकिन मुफ्त में मिलने वाली इस्माइल चेहरे पर नहीं दिखती ।चेहरे पर स्माइल नेचुरल गिफ्ट है ।इसका अमीरी गरीबी से कोई रिश्ता नहीं है। उन्होंने भी परिवार सुधार की बात कही तथा 16 संस्कारों का जिक्र किया। युवा पीढ़ी की जीवन शैली पर उन्होंने चिंता व्यक्त की ।लालमणि जी ने अनेक भजन प्रस्तुत किए तथा आधुनिक चकाचौंध की जिंदगी पर कड़ा प्रहार किया। कार्यक्रम का संचालन देवेंद्र नाथ त्रिपाठी ने किया।


रिपोर्ट : राममिलन तिवारी

No comments