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अब चट्टी चौराहों पर शुरू हुई निकाय चुनाव की चर्चा

 



मनियर /बलिया । विधानसभा चुनावों के समाप्त होने के साथ ही नगर पंचायतों के चुनाव की आहट से क्षेत्र में सियासी चर्चाएं तेज होने लगी हैं. चट्टी चौराहों पर चर्चायें शुरू होने से नगर पंचायत मनियर का राजनीतिक पारा अब  जोरों शोरो से गरमाने लगा है। स्थानीय राजनीति में सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्षी खेमे से जुड़े दिग्गज विधानसभा परिणामों को लेकर न केवल मंथन व विश्लेषण करने में जुट गए हैं बल्कि इसके साथ ही भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर अपनी मजबूत रणनीति भी बनाने में लग गए हैं। इन सबके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो है साल 2022 में होने वाले नगर निकाय चुनाव है । जो वेहद करीब है ।विधानसभा चुनाव के बाद अब नगर पंचायत चुनाव की आहटों ने स्थानीय दिग्गजों के कान खड़े कर दिए हैं। गौरतलब हो कि विधानसभा बाँसड़ीह अन्तर्गत मनियर नगर पंचायत का अपना एक अलग इतिहास रहा है। दो प्रमुख घरानों की स्थानीय राजनैतिक विरासत के बाद एक तिसरा खेमा भी पिछले चुनाव 2017 मे   नगर पंचायत मनियर के  चुनाव में युवा समर्थित भाजपा उम्मीदवार को जिताकर गोपाल जी यहाँ तीसरे खेमे की जोरदार उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। बाँसड़ीह विधानसभा चुनाव में पहली बार कमल खिलने के साथ ही सपा दूसरे नम्बर में जा चुकी है। आँकड़ो की बात करें तो इसबार मनियर कस्बे में केतकी सिंह को लगभग 4389 व रामगोविंद चौधरी को लगभग 2404 मत हासिल हुए थे । हाँलाकि ये पहली दफा नहीं था जब केतकी ने नेता प्रतिपक्ष पर कस्बे में बढ़त बनाई हो । पूर्व के दो चुनावों में भी हार के बावजूद वो मनियर कस्बे में बढ़त बनाने में सफल रही थी । इसमें एक चुनाव पिछला भी था जब वो बतौर निर्दलीय मैदान में थी । इस बार की तरह ही कस्बे की राजनीति में केतकी सिंह को उनके राजनैतिक पदार्पण सहित पिछले दोनों चुनावों में युवाओं का भरपूर साथ मिला था । यहाँ के जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव के परिणाम कस्बाई राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं। यही कारण रहा कि नगर पंचायत की राजनीति में सक्रिय चेहरे अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने हेतु कमर कस कर चुनावी मैदान में उतर चुके थे । चुनाव परिणामों ने इतना तो जरूर बता दिया है कि प्रदेश के साथ ही कस्बाई राजनीति में भी मतदाताओं का विश्वास भाजपा से कत्तई कम नहीं हुआ है। चुनाव परिणामों में बढ़त बनाने वाले खेमे के साथ ही पिछड़ने वाला खेमा भी अब अपनी और मजबूती के लिहाज से आत्म मंथन के दौर में जुटा बताया जा रहा है। नगर पंचायत चुनावों की आहटें अभी स्पष्ट नहीं है मगर हलचलों ने इतना तो जरूर बता दिया है कि नगर पंचायत की राजनीति का चढ़ता पारा फिलहाल उतरने वाला नहीं है।


रिपोर्ट राममिलन तिवारी

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