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आजादी के वास्तविक सूत्रधार थे मंगल पांडेय:- विद्यार्थी


 

दुबहड़। बलिया 30 जनवरी 1831 को नगवा, बलिया में जन्मे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक शहीद मंगल पांडे ने अपने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए 8 अप्रैल 1857 को हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। राष्ट्रभक्ति धारा बहाने और सोए भारत को जगाने वाले मंगल पांडे ने अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध जो आवाज उठाई, उसकी गूंज किसी न किसी रूप में आज भी हमारे देश में सुनाई पड़ती है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि लोग शहीदों की कुर्बानियों को भूलते जा रहे हैं। कहा कि मंगल पांडेय आजादी के वास्तविक सूत्रधार थे। 

उक्त बातें मंगल पांडे विचार मंच के प्रवक्ता एवं सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने अखार-नगवा ढाला स्थित मीडिया सेंटर पर शहीद मंगल पांडे के शहादत दिवस के पूर्व संध्या के अवसर पर कहीं। कहा कि शहीद मंगल पांडे आज भी बलिया के कण-कण में बसे हैं। आज अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध मंगल पांडे के आदर्शों पर चलकर लड़ाई लड़ने एवं देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है। बागी बलिया की अस्मिता, परंपरा, संस्कृति और यहां की माटी की खुशबू बरकरार रखने के लिए युवाओं में अपने राष्ट्र के प्रति देशभक्ति का जज्बा पैदा करना होगा। वहीं साहित्यकारों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, गायक-गीतकारों आदि को शहीद के नाम कविता, कहानी, लेख, नाटक व गीतों के माध्यम से अपने देश सहित बलिया के गौरव के प्रतीक मंगल पांडे के विचारों को जन-जन तक पहुंचाकर जागरूक करना होगा। यदि हम समर्पण भाव से इतना कर सके तो यही शहीद के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

रिपोर्ट:-नितेश पाठक

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