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भागवत कथा जीने की कला सिखाता है :भगवताचार्य पं० विनोद


 



रतसर (बलिया):गुरु ही मोक्ष का द्वार खोलते है। गुरु के बिना ईश्वर की प्राप्ति संभव नही है।जनऊपुर गांव में स्थित मन कामेश्वर नाथ शिव मन्दिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास भगवताचार्य पं० विनोद पाण्डेय ने उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि काम,क्रोध,लोभ,मोह व अहंकार ही शरीर के शत्रु है। भक्ति की शक्ति अथवा सत्संग के प्रभाव से इन पर काबू पाया जा सकता है। भागवत कथा जीने की कला सिखाता है। भगवताचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया का वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठाकर इन्द्र के अभिमान को चूर-चूर किया। गोकूल में गोचरण किया तथा गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया। प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में अग्रसर रहना चाहिए।यदि व्यक्ति धर्म का आचरण करता है एवं धर्म द्वारा अर्जित धन से अपनी कामनाओं की पूर्ति करता है,तो उसकी सहज मुक्ति होती है, लेकिन अधर्म से कमाए धन से जीवन में तामसिक वृद्धि होती है। काम,क्रोध,लोभ, मोह व अहंकार ये तीनों नरक गामी बनाता है I कथा के पश्चात छप्पन भोग लगाया गया एवं लोगों ने संगीतमयी कथा पर जमकर नाचे एवं भगवताचार्य ने लोगों से अनुरोध किया कि ज्ञानयज्ञ में कुछ ही दिन शेष है इस लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग पधार कर ज्ञानयज्ञ का लाभ ले और जीवन को सफल बनाए। कथा के पूर्व यज्ञाचार्य पं०संजय उपाध्याय, शिवजी पाठक एवं मुनिशंकर तिवारी ने यजमान सुरेन्द्र नाथ पाण्डेय व नरेन्द्र नाथ पाण्डेय के साथ मण्डप में स्थापित विभिन्न देवी- देवताओं का विधि-विधान से पूजन किया। कथा आयोजक पं० उमेश चन्द्र पाण्डेय ने यज्ञ स्थल पर आए श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए आरती एवं प्रसाद का वितरण किया।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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