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आस्था : भागवत कथा श्रवण से पैदा होते सात्विक विचार : पं० विनोद


 




रतसर (बलिया):जीवन में यदि मान,बड़ा पद या प्रतिष्ठा मिल जाए तो उसे ईश्वर की कृपा मानकर भलाई के कार्य करना चाहिए,लेकिन यदि उसका जीवन में किंचित मात्र भी अभिमान हुआ तो वह पाप का भागीदार बना देता है। भागवत कथा पढ़ने व सुनने से जीवन में सात्विक विचार पैदा होते है। जिसके जीवन में भक्ति भाव आ जाएगा,उसका जीवन संवर जाएगा।यह विचार जनऊपुर गांव स्थित मन कामेश्वर शिव मन्दिर में  चल रही श्री मद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक भगवताचार्य पं० विनोद पाण्डेय ने श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए प्रकट किया। व्यास पीठ से उन्होंने बताया कि जब-जब भगवान के भक्तों पर विपदा आती है तब भगवान उनके कल्याण के लिए सामने आते है। परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए भगवान शुकदेव के रुप में प्रकट हो गए और श्री मद्भागवत की कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया। उन्होंने महाभारत के कई प्रसंग भी सुनाए। कथावाचक ने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनन्द मिलता है। उसकी वाणी भवसागर का मोती बन जाता है। भगवान प्रेम के भूखे है। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन सम्भव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि भागवत कथा का जो श्रवण करता है उन पर भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। कथा के पूर्व यज्ञाचार्य पं० संजय उपाध्याय,पं०शिवजी पाठक,पं०मुनिशंकर तिवारी व मुख्य यजमान  पं० सुरेन्द्र नाथ पाण्डेय एवं नरेन्द्र नाथ पाण्डेय द्वारा मण्डप में विभिन्न देवी-देवताओं को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधि- विधान से पूजा-अर्चना की गई।कथा आयोजक उमेश चन्द्र पाण्डेय ने बताया कि  सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन कथा का रसपान करने के लिए आ रहे है।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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