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माता पिता को प्रसन्न रखना ही दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ व्रत:- जीयर स्वामी



 


दुबहर:- क्षेत्र के जनेश्वर मिश्र सेतु एप्रोच मार्ग के किनारे हो रहे चातुर्मास व्रत में रविवार की देर शाम प्रवचन करते हुए महान मनीषी  संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी के शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी ने कहा कि विशालकाय सृष्टि भगवान में समाहित है, कहा कि सृष्टि के निर्माण से लेकर उसके अंत तक ईश्वर सर्वव्यापी है।  ईश्वर की स्थिति सदैव एक समान होती है। बताया कि दुनिया के नियंता भगवान श्रीमन्नारायण हैं जिनके द्वारा सृष्टि प्रकट होती है व प्राणी प्रकट होते हैं इसके साथ-साथ प्राणियों के जितने भी प्रकार हैं वह भी भगवान के द्वारा ही प्रकट होते हैं।  कहा कि ईश्वर की कृपा समस्त प्राणियों पर एक समान होती है।  वैदिक सनातन धर्म के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म समस्त प्राणियों के साथ -  साथ प्राकृतिक का भी सम्मान करना सिखाता है।  कहा कि ईश्वर की आराधना करने से संस्कार का प्रादुर्भाव होता है।  उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि जो व्यक्ति दान और दया की भावना रखता है वही समाज में आदर्श  स्थापित करता है।  कहा कि माता-पिता को प्रसन्न रखना ही दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ व्रत है। कहां की ईश्वर की आराधना आस्था व आग्रह का विषय होता है।

रिपोर्ट:-नितेश पाठक

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