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गृहस्थ रहते हुए भी पवित्र जीवन जीने वाला व्यक्ति भगवत कृपा का अधिकारी होता है:- जीयर स्वामी




 


भृगु क्षेत्र में बह रही है आस्था की गंगा गोता लगा रहे हैं हजारों श्रद्धालु


दुबहर:- क्षेत्र के जनेश्वर मिश्र सेतु एप्रोच मार्ग के किनारे हो रहे चातुर्मास व्रत में मंगलवार की देर शाम प्रवचन करते हुए महान मनीषी  संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी के शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य को कर्म से पहले फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए ,अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर कर्म करते रहना चाहिए। कहां की गृहस्थ रहते हुए भी पवित्र जीवन जीने वाला तथा सत्कर्म करने वाला व्यक्ति भगवत कृपा का अधिकारी होता है। प्रवचन के दौरान श्रीमद् भागवत कथा पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि भागवत को ही अमर कथा कहा जाता है। जब माता पार्वती ने भगवान शिव से कथा सुनने की जिद की। तो वे उन्हें अमरनाथ ले गए। जहां कथा के दौरान सुकदेव जी महाराज ने उसका श्रवण किया। फिर उसे कालांतर में लिपिबद्ध किया गया। 

 उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि ईश्वर के प्रति निष्काम भाव से आत्मसमर्पण करना ही सच्ची भक्ति है। बतलाया कि वैदिक सनातन मार्ग के पथ पर चलने वाला व्यक्ति स्वयं में पंडित होता है। कहा कि अपने गुरु, पति, बड़े पुत्र ,विद्वान पुरुष के लिए सदैव द्विवचन या बहुवचन का प्रयोग करना चाहिए। उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि चार लाख बत्तीस हजार वर्ष कलयुग की आयु है।  कहा कि चारों युगों को मिलाकर एक चतुर युगी होता है।

रिपोर्ट:-नितेश पाठक

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