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भगवान की कृपा से ही सत्संग की प्राप्ति:- श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी




दुबहर:- भक्ति होनी चाहिए, ज्ञानी भी होना चाहिए। उपासक भी होना चाहिए। लेकिन वह ज्ञान, वह भक्ति, वह  उपासना अपने को अंहकार में नही होना चाहिए। हमारे प्रयास और पुरूषार्थ करने के बाद भी, हमारे कर्म और कर्तव्य करने के बाद अगर कहीं भावी बलियसि होनी  है तो परमात्मा की आज्ञा मान करके उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।

उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में अपने प्रवचन के दौरान रविवार की देर शाम कही।


उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य ठीक रहेगा तो घर परिवार में रहकर भी शांति प्राप्त कर सकते हैं।


अयोध्या, मथुरा, काशी केवल मुक्ति का कारण नही है। अगर अयोध्या, मथुरा, काशी केवल मुक्त का कारण होता तो चोर, बदमाश, कुकर्मी नही होना चाहिए। यहां रहने से भी कल्याण नही हो जाएगा। हमारा लक्ष्य ठीक नही होगा तो हम चाहें बक्सर रहें, अयोध्या रहें, मथुरा रहें, हम अपने मुकाम तक नही पहुंच पाएंगे। हमारा उद्देश्य ठीक होगा तो हम अयोध्या भी रह करके शांति प्राप्त कर सकते हैं। और घर परिवार में भी रह करके शांति प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान की कृपा से हीं सत्संग की प्राप्ति होती है। जीवन में सन्मार्ग की प्राप्ति होती है। भगवद् भजन में मन लगता है। घर परिवार में मंगल और आनंद की अनुभूति होती है। समाज परिवार में मान सम्मान होता है यह सब भगवान की कृपा से ही होता है।  भगवान की कृपा से ही साधु-संत के सान्निध्य में जाते हैं।



रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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