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जिसे धारण करने के बाद मनुष्य गलत कार्य न करें वही धर्म :-लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी


 

दुबहर:- शंकर का मतलब होता है जो कल्याण ही कल्याण करें। भगवान शंकर के समान ऐसा कोई नही है। धतुरा चढा दिए तो भी खुश, बेल पत्र, गंगाजल चढ़ा दिए तो भी खुश। नाराज नही होते।  आज कल लोग भगवान शंकर को मानकर गलत काम कर रहे हैं। इनके नाम पर  गांजा, भांग इत्यादि का सेवन कर रहे हैं।  शंकर जी के नाम पर, भैरव जी के नाम पर, काली जी के नाम पर, गलत काम करना अच्छी बात नही है।

उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में रविवार की देर शाम अपने प्रवचन में कही। 

स्वामी जी ने कहा कि वैदिक परंपरा को तोड़ने मरोड़ने का अधिकार किसी को नही है।

लोग ऊँ हटाकर भगवान शिव को गुरू बनाते हैं।  मनमाने ढंग से जीवन जीने के लिए, मनमाने ढंग से खान -  पान उठन ,बैठन के लिए  अपने मन से शंकर जी के मंत्र से ऊँ हटा दिया। ऐसा ठीक नही है। धर्म करीए परंतु धर्म के नाम पर इधर-उधर भटकने की कोशिश मत करीए। अधर्म करने के लिए धर्म की छत्रछाया डाल दिया जाए यह अच्छी बात नही है। धर्म के नाम पर भटकाव की बात आती है अच्छी बात नही है।


उन्होंने कहा कि धर्म कभी भी हमें गलत मार्ग पर चलने की आज्ञा नही देता है। हम घिर चुके हैं। हम घीरने वाले हैं उससे जो रक्षा करे वहीं धर्म है। जिसको पकड़ने के बाद, सुनने के बाद, मानने के बाद समझने के बाद हम गलत काम न करें उसी का नाम धर्म है।

रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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