Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

सार्वजनिक संपत्ति का अपहरण बहुत बड़ा पाप : जीयर स्वामी



* श्रद्धालु भक्तों से मांगा समय का दान


दुबहर, बलिया। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से जनेश्वर मिश्र सेतु को जाने वाले एप्रोच मार्ग के किनारे चल रहे चतुर्मास व्रत यज्ञ के दौरान सोमवार को देर शाम जीयर स्वामी ने कहा कि पंचायती संपत्ति का अपहरण कतई नहीं करना चाहिए । सार्वजनिक संपत्ति जैसे अस्पताल विद्यालय पंचायती भवन को हड़पना या क्षति पहुंचाना बहुत बड़ा पाप होता है ऐसा करने वाला व्यक्ति 7 हजार वर्षों तक कीटाणु के रूप में बार बार जन्म लेता है । जो पंचायती संपत अथवा संत महात्मा की संपत्ति को हड़प लेता है उसे दंड अवश्य मिलता है । जीयर स्वामी ने श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्री कृष्ण बाणासुर संग्राम कथा श्री कृष्ण शंकर युद्ध का वर्णन विस्तार से सुनाया ।  स्वामी जी ने कहा कि इस प्रसंग को जो सुनता है वह धन-धान्य से पूर्ण होता है । धन-संपत्ति एकत्र करने वाले व्यक्ति के बारे में कहा कि जो संपत्ति नाजायज तरीके से  आती है उसके साथ 15 प्रकार के अवगुन भी आते हैं उस व्यक्ति में एक दूसरे के प्रति और अविश्वास ईर्ष्या दुर्व्यवहार आदि दुर्गुण पैदा हो जाते हैं  और उसका जीवन बिलासी हो जाता है । अहंकारी व्यक्ति होने के कारण उसके अंदर से ऐंठन आ जाता है और उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। श्री स्वामी जी ने बताया कि अन्याय व अनीति से  कमाया हुआ धन दान भी नहीं करना चाहिए ऐसा करने से उसे जीवन में सुख प्राप्त नहीं होता है । सत्संग के दौरान स्वामी जी ने श्रद्धालुओं से समय का दान करने के लिए कहा । उन्होंने कहा कि मुझे 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक सुबह 9 बजे से 1बजे तक तथा दिन में 2 बजे से 6बजे तक समय दान कर दीजिए । इस दौरान कथा सुबह 9 बजे से 1 बजे तक रामकथा होगी जिसमें अंतरराष्ट्रीय कथावाचक वृंदावन के श्रीकृष्णचंद्र ठाकुर जी आ रहे हैं श्री भागवत कथा करने अंतरराष्ट्रीय कथावाचक डॉ श्री श्यामसुंदर पाराशर जी करेंगे। श्रद्धालुओं से खचाखच भरे सत्संग पंडाल में स्वामी जी ने कहा कि 4 माह तक चले चतुर्मास व्रत के दौरान अंतिम क्षणों में मैं सभी से यही दान करने का अनुरोध करता हूं कि आप इन दोनों अंतरराष्ट्रीय कथावाचको  सुने और अपने जीवन को धन्य बना लीजिए इस दौरान आवश्यकता अनुसार मैं भी समय देता रहूंगा । उन्होंने बताया कि श्रद्धालु भक्तों के संख्या को देखते हुए उनके बैठने और कथा सुनने के लिए और वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में पांडाल लगाए जा रहे हैं किसी को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका चतुर्मास्य व्रत यज्ञ समिति पूरा प्रयास कर रही है।


रिपोर्ट :- नितेश पाठक

No comments