नर को नारायण तक पहुंचाने का उत्तम सोपान है श्रीमद् भागवत:- जीयर स्वामी
दुबहर:- श्रीमद्भागवत की कथा केवल मुक्ति का ही नहीं बल्कि धनबल, पुत्र ,विद्या, ज्ञान ,भक्ति ,वैराग्य सर्व काम भाव की कथा है। भागवत स्वयं भगवान के मुख से प्रगट ग्रंथ है यह पंचम वेद है ।मृत्यु के भय को विनाश करने वाला मंगलमय ग्रंथ है। मानव जीवन के साथ साथ सभी प्राणियों के लिए उधार ग्रंथ है। नर को नारायण तक पहुंचाने का उत्तम सोपान है।
उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में प्रवचन के दौरान कही।
श्रीमद्भागवत महापुराण के नाम की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि 'श्री ' ईश्वर भक्ति वाचक शब्द है । 'मद ' का अर्थ भक्ति को सर्वभावेन अपने जीवन में उतारने का नाम है । सद ग्रंथों से प्रेरणा प्राप्त करना ही श्रीमद् ' है । भागवत में भा का अर्थ प्रकाश होता है। 'ग' ज्ञान वाचक है। ' व' यानी वैभव तथा 'त' का अर्थ तेज ,तपस्या है।
पुराण का मतलब जो पुरातन होते हुए भी नित्य नवीन लगे। भागवत वैष्णव धर्म का उद्गम ग्रंथ है। स्वामी जी ने बताया कि जो शास्त्र सम्मत है वही वैष्णव है।
रिपोर्ट:- नितेश पाठक
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