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शिक्षक दिवस के अवसर पर लोकनायक जयप्रकाश के आंगन में सनबीम बलिया

 




रिपोर्ट : धीरज सिंह


बलिया : देश का भविष्य बच्चे जिन्हे उचित मार्ग दिखाने,शिक्षा देने के साथ ही उन्हें संस्कारवान एवं चरित्रवान बनाने का कार्य समाज के सम्मानित पद शिक्षक द्वारा किया जाता है।शिक्षक वह व्यक्तित्व है जो बच्चों में ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित करने के साथ ही उन्हें ज्ञान की आग में तपाकर कुंदन बनाता है।उनके इस अद्वितीय योगदान के प्रति उनका आभार व्यक्त करने हेतु प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

    यह तो पूर्वविदित है कि इस दिन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति तथा द्वितीय राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था, उन्होंने अपना यह विशेष दिन समस्त शिक्षकों को समर्पित किया।इस अवसर पर बलिया के अगरसंडा ग्राम के सनबीम स्कूल में यह दिन एक अनूठे अंदाज में मनाया गया। विद्यालय सदैव ही अपने अनोखे अंदाज में कार्यों को करने के लिए प्रसिद्ध है। इस वर्ष विद्यालय के विद्यार्थियों ने एक दिन का अध्यापक थीम पर अपने गुरुजनों के परिश्रम को सम्मान देने हेतु उनका अवतार धारण किया तथा उनका अनुकरण करते हुए अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में पूरे दिन कक्षाएं संचालित की। अपने विद्यार्थियों को इस अवतार में देखकर समस्त शिक्षक अत्यंत गौरवान्वित थे। इस अवसर पर  विद्यालय प्रबंधन ने अपने शिक्षकों को उनके द्वारा किए प्रशंसनीय कार्यों हेतु तथा माइक्रोसॉफ्ट इनोवेटिव एजुकेटर की उपाधि प्राप्त किए शिक्षकों को सम्मानित किया।  

   बता दें कि विद्यालय ने इस  सम्मान समारोह का आयोजन  बलिया के गौरव महानायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के जन्मस्थान जयप्रकाश नगर में किया। विद्यालय के निदेशक डॉ कुंवर अरूण सिंह तथा प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह सहित विद्यालय के समस्त शिक्षकों ने  इस पावन स्थान पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वहां पहले से ही उपस्थित जेपी स्मारक ट्रस्ट के संरक्षक तथा जयप्रकाश महाविद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक सिंह ने सभी को सन 1986 में जयप्रकाश स्मारक, ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र तथा परिसर में स्थित प्रभावती पुस्तकालय का भ्रमण कराकर सभी आवश्यक जानकारी  विस्तृत रूप में प्रदान की। 

   बलिया के अंतिम छोर पर  द्वाबा सिताबदियारा स्थित जयप्रकाश नगर वह स्थान है जहां संपूर्ण क्रांति आंदोलन के प्रणेता एवं समाजवाद तथा सर्वोदय शब्द को सही दिशा देने वाले जयप्रकाश नारायण का जन्मस्थान है। जहां पहुंचकर सभी लोगों ने जेपी निवास, उनकी पत्नी के नाम पर स्थित प्रभावती पुस्तकालय, चंद्रशेखर वाटिका, गेस्ट हाऊस, जेपी संग्रहालय आदि का अवलोकन किया तथा उनके जीवन एवं स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी जानकारियां प्राप्त की।

 इस मौके पर डॉ कुंवर अरूण सिंह ने बताया कि इस भ्रमण का मुख्य उद्देश्य सभी को बलिया के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराना है। एक शिक्षक तभी अपने विद्यार्थियों को शिक्षित कर सकेगा जब वह स्वयं उस इतिहास को अनुभव करेगा। प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी तथा सभी को उनके अतुलनीय कार्यों के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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