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सदाचार को जीवन का आधार बनाना मोक्ष का मार्ग:- जीयर स्वामी




दुबहर :- जहां अनीति, अत्याचार के बल पर ही व्यक्ति स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हो वही कलयुग है। जैसे-जैसे घोर कलयुग आता जाएगा वैसे-वैसे धर्म ,सत्य ,पवित्रता, क्षमा ,दया, का स्वरूप कम होता जाएगा। कलयुग में जिसके पास धन, अनीति ,अत्याचार भ्रष्टाचार से प्राप्त हो जाएगा उसे ही कुलीन माना जाएगा।विवाह में वर कन्या अपने-अपने मनुकूल चुनाव करेंगे जाति ,धर्म ,गोत्र, कुल  को लोग किनारेे करके चलेंगे, ब्राह्मण की पहचान सदाचार ,सद व्यवहार, तप ,पूजा - पाठ से नहीं बल्कि केवल पाखंडी कर्मकांड से माना जाएगा। कलयुग के लोग लोभी, दुराचारी, पाखंडी होंगे नए - नए धर्मों का उदय होगा। व्यक्ति अपने आप को परमात्मा मानकर पूजन करवाते फिरेंगे । गृहस्थ अपने धर्म को त्याग कर धोखाधड़ी, जालसाजी करके जीवन यापन करेंगे । सन्यासी भी लोभी होने लगेंगे। यही घोर कलयुग की पहचान है । ऐसी स्थिति में धर्म की रक्षा करने के लिए सत्व गुण स्वीकार करके स्वयं भगवान अवतार ग्रहण करेंगे।

उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने महर्षि भृगु की पावन तपोभूमि पर स्थित जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में अपने प्रवचन के दौरान कही।

स्वामी जी ने कहा कि कल्कि अवतार हो जाने पर भगवान की कृपा से मनुष्यों के मन में सात्विकता का संचार होगा। पुनः सतयुग का आरंभ हो जाएगा। समस्त भूमंडल के प्राणी सात्विक गुणों से युक्त हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि कलयुग में मनुष्य केवल सदाचार को ही जीवन का आधार बना ले तो भगवान नारायण प्रसन्न हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि कलयुग में सदाचार को जीवन में धारण करके भगवान श्रीमन्नारायण में अपने सभी सत्कर्म को समर्पित करते रहना ही मोक्ष का श्रेष्ठ मार्ग है।


रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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