Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस : थाम लो वो हाथ जिनकी उंगलियां पकड़कर चलना सीखा



रतसर (बलिया) वृद्ध जीवन को पश्चाताप का पर्याय न बनने दे। आज वृद्धों को अकेलापन,परिवार को सदस्यों द्वारा उपेक्षा,तिरस्कार, कटुक्तियां,घर से निकाले जाने का भय या एक छत की तलाश में इधर-उधर भटकने का गम हरदम सालता रहता।उक्त बातें हनुमत सेवा ट्रस्ट जनऊपुर के परिसर में शनिवार को जनऊबाबा साहित्यिक संस्था निर्झर के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर आयोजित" बदलती दुनिया में वृद्ध व्यक्तियों का लचीलापन " विषयक गोष्ठी में डायट के उप प्राचार्य एवं शिक्षाविद् दिवाकर पाण्डेय ने कही। इस अवसर पर इं०श्री गणेश पाण्डेय ने बताया कि वृद्धों को लेकर जो गंभीर समस्याएं आज पैदा हुई हैं,वह अचानक ही नही हुई,बल्कि उपभोक्तावादी संस्कृति तथा महानगरीय अधुनातन बोध के तहत बदलते सामाजिक मुल्यों, नई पीढ़ी की सोच में परिवर्तन आने,महंगाई के बढ़ने और व्यक्ति के अपने बच्चों और पत्नी तक सीमित हो जाने की प्रवृत्ति के कारण बड़े-बूढ़ों के लिए अनेक समस्याएं आ खड़ी हुई है।पूर्व प्रधान एवं शिक्षक प्रेम नारायन पाण्डेय ने बताया कि सुधार की संभावना हर समय है। हम पारिवारिक जीवन में वृद्धों को सम्मान दें, इसके लिए सही दिशा में चले,सही सोचें,सही करे। इसके लिए आज विचार क्रांति ही नहीं, बल्कि व्यक्ति क्रांति की जरूरत है।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

No comments