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महिलाओं के प्रति सामाजिक सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाने की जरूरत : बब्बन विद्यार्थी




दुबहर, बलिया:--नारी ममता की मूरत, श्रद्धा एवं सद्गुणों की खान ही नहीं बल्कि नारी शक्ति मानव जीवन की मूल आधार भी है। महिलाओं के बिना समृद्ध समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। उक्त बातें सामाजिक चिंतक एवं लोक गीतकार बब्बन विद्यार्थी ने ब्यासी ढाला स्थित मंगल चबूतरा पर बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है। चहारदीवारी के अंदर घुंघट में रहने वाली महिलाएं आज जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुष की 'सहचरी' बनकर संघर्ष के बल पर अपना परचम लहरा रही है। महिलाएं चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान, बैंक, पुलिस या फौज एवं सिविल सेवा आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं। आज महिलाएं सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, एवं धार्मिक आदि क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं। आज की महिलाओं में छटपटाहट है आत्मनिर्भर बनने की। अपने अविराम अथक परिश्रम से पूरी दुनिया में एक नया सवेरा लाने की और एक ऐसी सशक्त इबारत लिखने की, जिसमें महिला को अबला के रूप में न देखा जाए।

 श्री विद्यार्थी ने कहा कि आठ मार्च को केवल महिला दिवस का आयोजन करना एवं महिला सशक्तिकरण की बातें करना तब तक सार्थक नहीं हो सकता, जब तक महिलाओं के प्रति सामाजिक सोच एवं संस्कृति में सकारात्मक परिवर्तन न लाया जाए। हालांकि हाल के दिनों में महिलाओं के प्रति समाज का दृष्टिकोण भी बदला है। इस मौके पर पत्रकार एवं रंगकर्मी पन्नालाल गुप्ता, रविंद्र पाल मुखिया, सुनील कुमार पाठक, रफीक शाह मौजूद रहे।

रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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