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राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संस्कृत से ही संभव : डाॅ जयकान्ताचार्य



दुबहर/बलिया। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के तत्वावधान में संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु चलाये जा रहे संस्कृत प्रशिक्षण के बौद्धिक सत्र में विविध प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षुओं को बतौर मुख्य अतिथि शहीद मंगल पांडेय के पैतृक गांव निवासी श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डाॅ  ‌जयकान्ताचार्य जी महाराज ने मंगलवार की देर शाम संस्कृत के विद्वानों को संस्कृत में संबोधित किया। संस्कृत के महत्व को बताते हुए कहा कि भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत और संस्कृति से ही है।

भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा। इसमें भी संस्कृति के स्वरूप का मूलतः ज्ञान उसका संरक्षण एवं संवर्धन संस्कृत से ही संभव है। सनातन का मूल स्वरूप संस्कृत में ही सन्निहित है। इस प्रकार व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संस्कृत से ही संभव है। इस अवसर पर रंजीत तिवारी, लल्लन बाबू मौर्य, विनय शुक्ला, विजेता सिंह आदि सम्मिलित रहे। अंत में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के डायरेक्टर विनय श्रीवास्तव ने सबका आभार प्रकट किया।

रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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