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चार सेमी की रफ्तार से बढ़ रही गंगा, सुराक्षात्मक कार्य ठप

 



रामगढ़। गंगा नदी के जलस्तर में सातवें दिन भी बढोत्तरी का क्रम अनवरत जारी है। उत्तर प्रदेश में दक्षिण और पश्चिमी मानसून की अति सक्रियता के कारण पिछले करीब एक पखवाड़े के दौरान हुई व्यापक वर्षा के चलते प्रदेश की नदियां उफान पर हैं। जिले में गंगा नदी का जलस्तर प्रति घंटे 4 सेंटीमीटर की रफ्तार से ऊपर चढ़ रहा है, जबकि गाजीपुर व वाराणासी चार-चार तथा प्रयागराज में पांच सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है। गंगा नदी के जलस्तर में  बढ़ाव होने से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के लोगों की चिन्ता काफी बढ़ गई है। शुक्रवार की शाम 4 बजे केन्द्रीय जल आयोग गायघाट गेज पर गंगा नदी का जलस्तर 51.880 मीटर रिकार्ड किया गया। यहां चेतावनी बिन्दु 56.615 हैं। खतरा बिन्दु 57.615 मीटर व मीडियम फ्लड 58.615 मीटर है। यहां 2016 में सर्वाधिक जलस्तर 60.390 मीटर रिकार्ड किया गया था। 2021 में नदी 60.250 मीटर तक पहुंची थी। नदी में बढ़ाव से सोनारटोला से लगायत नौरंगा के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। वहीं सुघर छपरा,दुबेछपरा, गोपालपुर व उदई छपरा ग्रामीणों को कटानरोधी कार्य पूरा नहीं होने से अपना आशियाना खोने का भय सताने लगा है। बालिका विद्यालय दुबे छपरा, शिक्षा क्षेत्र बैरिया के प्रा.वि गोपालपुर व प्रा.वि उदईछ्परा प्रा.वि सुघर छ्परा इस बार गंगा के निशाने पर हैं। तटवर्ती लोगों ने बताया कि शुक्रवार को विभागीय अधिकारियों के साथ ही मजदूर किसी भी कार्य स्थल पर नजर नहीं आये। इससे ग्रामीण आहत हैं।


करोड़ों खर्च के बाद भी 25 हजार की आबादी असुरक्षित


रामगढ़। बाढ़ विभाग द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर,उदई छपरा, इत्यादि गांवो के 25 हजार की आबादी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं बतातें चलेंकि वर्ष 2017 में दूबे छपरा रिंगबन्धे को मिट्टी एवं चौड़ीकरण में 9 करोड़ खर्च कियें गयें थे। इसके अलावा वर्ष 2018 में 40 करोड़ 12 लाख की लागत से पीचिंग और ठोकर का कार्य किया गया था। उसके बाद वर्ष 2019 में गंगा नदी के भीषण बाढ़ में रिंगबन्धा अपना घुटना टेक दिया। उसके से बाढ़ ने अपना नया मोड़ अख्तियार कर इसी वर्ष अप्रैल माह में 55 करोड़ रुपये से पिचिंग व स्पर का कार्य करना प्रारंभ किया। वह भी गंगा की गोद में समा गया। बचाव कार्य के नाम इस वर्ष शासन द्वारा पांच परियोजनाओं के लिए 9 करोड़ 34 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई हैं लेकिन आज तक कटानरोधी कार्य ठेकेदारों द्वारा पूरा नहीं किया गया। जिसके बाद भी 25 हजार की आबादी को बाढ़ व कटान से मुक्ति नहीं मिल पाई।


फिलहाल गंगा नदी कहीं भी कटान नहीं कर रही है इसलिए गांवो पर कोई खतरा नहीं है जलस्तर बढ़ने से कटानरोधी कार्य थोड़ा प्रभावित हो रही हैं जलस्तर नीचे ही खिसकते ही बचाव कार्य पूरा कर दिया जायेगा।

    संजय कुमार मिश्र

अधिशासी अभियंता, बाढ़ विभाग, बलिया


रिपोर्ट: रवींद्र मिश्र

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