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पाँच माह में आठ पुरुषों व 529 महिलाओं ने अपनाई नसबंदी

 


●परिवार नियोजन के स्थाई साधन अपनाएं, खुशियों भरा  जीवन बिताएं


●महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित व सरल है पुरुष नसबंदी


बलिया : केस 1 - रेवती ब्लॉक के ग्राम विसुनीपुरा निवासी 30 वर्षीय चंदन यादव (परिवर्तित नाम) ने बताया “मेरा विवाह साल 2014 में हुआ था। पहला बच्चा शादी के एक साल बाद और दूसरा बच्चा पिछले साल हुआ। नसबंदी के नाम पर मुझे काफी डर लगता था। तरह-तरह की भ्रांतियां दिमाग में चलती रहती थीं, लेकिन जब मैं आशा दीदी रीना यादव से मिला तो उन्होंने मेरी सारी भ्रांतियां दूर कर दीं। मैंने अपनी नसबंदी जिला अस्पताल में 20 जुलाई 2023 को  कराई। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुजीत कुमार यादव से पता चला कि यह बेहद आसान तरीका है। मामूली सी एक शल्य क्रिया है और उसी दिन ऑपरेशन करा कर मैं घर भी आ गया।” उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन का यह एक का स्थाई, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय हैं। इससे यौन क्षमता और यौन क्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

केस – 2 ब्लॉक दुबहड़ ग्राम बेलाडीह निवासी 28 वर्षीय आशीष यादव (परिवर्तित नाम) ने बताया “मेरी शादी साल 2015 में हुई। शादी के एक साल बाद पहला बच्चा, साल 2021 में दूसरा और 2023 में तीसरा बच्चा हुआ। पत्नी ने कहा अब हमारापरिवार पूरा हो गया है नसबंदी करा लेनी चाहिए। मैं आशा दीदी रीना यादव से मिला और नसबंदी के बारे में उनसे बात की। जिला अस्पताल में मेरी नसबंदी हुई। जब मैंने नसबंदी करा  ली तब पता चला कि यह बहुत ही आसान है।”

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आनन्द कुमार ने बताया कि एक अप्रैल 2023 से 31 अगस्त 2023 तक जनपद में आठ पुरुष और 529 महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थाई साधन नसबंदी को अपनाया ।। इसके अलावा दो बच्चों के बीच में सुरक्षित तीन साल का अंतर रखने के लिए महिलाओं ने अस्थाई साधन को भी अपनाया है। 2667 महिलाएं पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) और 2532 महिलायें   इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस

  (आईयूसीडी),14910 महिलाएं माला एन अपना चुकी हैं। 13679 महिलाओं ने सप्ताहिक  गर्भनिरोधक गोली छाया ली है। इसके अलावा जनपद में कुल 2710 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा को अपनाया है।

नोडल अधिकारी ने बताया - दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखना मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। किसी महिला को दोबारा मां बनने के लिए कम से कम तीन साल का समय चाहिए होता है। इस अंतराल में मां अपने पहले शिशु की भी अच्छी तरह देखभाल कर पाती है और महिला का शरीर भी दोबारा मां बनने के लिए तैयार हो जाता है। तीन साल से पहले दूसरा बच्चा होने की स्थिति में मां और शिशु के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है। इसमें सामान्य सा चीरा लगता है । इसमें व्यक्ति को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल भी होता है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई प्रकार का भ्रम फैला हुआ है। इस भ्रम से पुरुषों को बाहर आना होगा और एक छोटा परिवार एवं सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुषों को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। 

उन्होंने बताया कि पुरुष लाभार्थी को सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि, एवं महिला लाभार्थी को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप मिलते हैं। साथ ही पुरुष नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 400 रुपये प्रति लाभार्थी दिया जाता है। महिला नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 300 रुपये प्रति लाभार्थी दिये जाते हैं।

फेमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक्स मैनेजर उपेंद्र चौहान ने बताया - सामाजिक एवं आर्थिक मजबूती बढ़ाने के लिए पुरुष आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं तथा परिवार नियोजन अपनाकर नसबंदी कराएं।


By Dhiraj Singh

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