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धुंधकारी-गोकर्ण की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता,श्रद्धालुओं की लग रही भीड़



गड़वार(बलिया) कस्बा क्षेत्र के दामोदरपुर गांव स्थित शिव मंदिर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को काशी से पधारे कथा वाचक पं.शीतल प्रकाश पाण्डेय ने गोकर्ण और धुंधकारी की कथा का रसपान कराया।उन्होंने बताया कि तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव और उनकी पत्नी धुंधुली रहती थी। धुंधुली झगड़ालू किस्म की थी। संतान नहीं होने के कारण पति परेशान रहते थे। उन्होंने अपनी पीड़ा एक ऋषि को बताई।ऋषि ने एक फल देकर कहा कि तुम यह फल पत्नी को खिला देना। आत्मदेव ने फल पत्नी को दिया,लेकिन पत्नी ने फल को नहीं खाया और उसे गाय को खिला दिया।धुंधुली ने अपनी बहन के बच्चे को ले लिया। आत्मदेव ने बच्चे का नाम धुंधकारी रखा। इसके बाद गाय ने भी एक बच्चे को जन्म दिया जो मनुष्य के रूप में था पर उसके कान गाय के समान थे। उसका नाम गोकर्ण रख दिया। बड़ा होने पर धुंधकारी नशेड़ी,चोर निकला और एक दिन अपनी मां को मार डाला। पिता व्यथित होकर वन चले गए।धुंधकारी वेश्यागमन करने लगा।एक दिन वेश्याओं ने धुंधकारी को मार डाला। मरने पर धुंधकारी प्रेत बन गया। गोकर्ण त्रिकाल संध्या की पूजा करते थे। उन्होंने भागवत कथा सुनकर धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्त कराया। कथावाचक ने नारद चरित्र और कलयुग आगमन की कथा सुनाई। कथा के मुख्य यजमान विजयशंकर पाण्डेय रहे। कथा के उपरान्त राघव पाण्डेय के सहयोग से प्रसाद का वितरण किया गया। कथा की पूर्णाहुति 17 दिसम्बर को होगा।

रिपोर्ट : डी.पाण्डेय

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