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उपेक्षा के दंश से आहत अपने भाग्य पर आंसू बहा रहा बलिया का लाइफ़ लाइन पुल




बलिया।  बलिया शहर का लाइफ लाइन कहे जाने वाले कटहर नाला पुल अपेक्षाओं के दंश से आहत होकर आज अपने भाग्य पर आंसू बहाने को विवश है। नगर को विभिन्न कालोनियों और गांव से जोड़ने वाले चित्तू पांडेय चौराहा स्थित कटहर नाले की दुर्दशा और जर्जर स्थिति को देखते हुए आशंका बनी रहती है कि किसी भी समय कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है। परंतु इस ओर ना तो जनपद के वीवीआईपी और ना ही जनप्रतिनिधिगण गंभीर नजर आए लगता है। शायद उन्हें भी बड़े हादसे में अपनी नेतागिरी चमकाने के अवसर तलाशने की दरकार है। नहीं तो लगभग 3 वर्षों से टूटे हुए इस ब्रिज के नव निर्माण की बात किसी भी जनप्रतिनिधि ने उठाई और ना ही किसी नेता ने इस जहमत को उठाने का प्रयास किया। निमार्ण के मानक की गुणवत्ता यह रही कि लगभग 100 वर्षों तक उक्त पुल ने जनपद वासियों की निरंतर सेवा की जो 27 मई 2016 की रात ओवरलोड ट्रक के गुजरने से ध्वस्त हो गया। विगत वर्षों उक्त पुल की जर्जर स्थिति को देखते हुए 1990 में लोहे वाले पुल का निर्माण कराया गया ,जो फिलहाल जर्जर स्थिति में पहुंच गया है ।जिसके चलते किसी समय कोई बड़ा हादसा सामने आ सकता है।


जर्जर भी पुल ध्वस्त हो गया तो बलिया जनपद के विभिन्न गांव और अन्य जनपदों के लिए वाहन सुविधा धारकों के सामने एक गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा। इतना ही नहीं इस पुल से आए दिन हजारों अधिकारी, मंत्री, नेता,अभिनेताओं का आवागमन होता रहता है। बावजूद इसके पुल की जर्जर स्थिति पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण लोहे वाला पुल भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो होकर जर्जर स्थिति में पहुंच गया है। यदि अभी पुल धाराशाही हो गया तो नगर का विभिन्न ग्रामीण अंचलों से संपर्क टूट जाएगा । ऐसी स्थिति में समस्या की गंभीरता को देखते हुए तत्काल इसकी कार्ययोजना बनाकर पुल के नव निर्माण की पहल किया जाना आज की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल होना चाहिए। पिछले दिनों जल निगम के अधिशासी अभियंता और तत्कालीन प्रभारी मंत्री ने कटहल नाले का निरीक्षण किया लेकिन आश्वासन से ही उन्होंने भी काम चलाया आज हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं ,शायद सभी को पुल के टूटने का इंतजार है। जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या के प्रति अगर समय रहते नहीं चेतता तो होनेवाले हादसे के लिए जिम्मेदार होगा।


रिपोर्ट मुशीर जैदी

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