समय रहते नींद से जागा होता नपं प्रशासन तो शायद बच जाती बछड़ों की जान
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| फाइल फोटो |
# पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद गर्म हुआ चर्चाओं का बाजार
मनियर, बलिया। नगर पंचायत द्वारा पुरानी पानी टंकी परिसर में अस्थायी रुप से रखे गए कान्हा पशु आश्रय गोशाला गौराबगही के पशुओं में से विगत सोमवार को एक बार फिर से एक बछड़े की मौत के बाद जिम्मेदारों के रवैये को लेकर लोगों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों की मानें तो इसबार भी बछड़े की मौत के मामले को दबाने की कोशिश की गई मगर मामले की जानकारी लोगों को हो ही गई । शायद यहीं कारण रहा कि गोशाला के बन्द गेट खुलवाने की कोशिश पर चौकीदार द्वारा यह बताया गया कि चेयरमैन की अनुमति पर ही गेट खोला जाएगा । हाँलाकि इस बाबत पूछे जाने पर अधिशासी अधिकारी मनियर द्वारा यह कहा गया कि ऐसा कोई आदेश पारित नहीं है। नगर अध्यक्ष से वार्ता कर ले । किन्तु नगर अध्यक्ष भीम गुप्ता से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि केवल रोटी बाहर से देने का अधिकार है। शेष पर प्रवेश वर्जित है। ऐसे में यक्ष प्रश्न ये बन जाता है कि आखिरकार ऐसे आदेश की आवश्यकता क्यों आ पड़ी ?
गौरतलब हो कि इसके पूर्व भी विगत दो जूलाई को एक बछड़े की मौत पर उससमय खासा हंगामा हुआ था जब कथित तौर पर मृत बछड़े को चुपके से दफनाने के लिए ट्रैक्टर-ट्राली से ले जाने का आरोप लगाते हुए कुछ सभासदों व प्रतिनिधियों ने ट्रैक्टर रुकवा कर मामले की उच्चस्तरीय जाँच की मांग को लेकर सड़क पर धरना दिया था । जुटे सभासदों व प्रतिनिधियों का आरोप था कि मृत बछड़े के शव को गुपचुप तरीके से ठिकाने लगाने के लिए ही ले जाया जा रहा था । कथित तौर पर अनियमितताओं के आरोपों के साथ बछड़ों की हो रही मौतों व नगर पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा बछड़ों के समुचित प्रबंध के दावों के बीच सच्चाई चाहे जो हो मगर बछड़ों की मौतों ने लोगों को कारणों के बाबत सोचने पर मजबूर कर दिया है।
लोगों की मानें तो एक ओर नगर पंचायत रोटी वैन के माध्यम से नगरवासियों को अपने घर की पहली रोटी गौशाला में दान करने की अपील कर रहा है वहीं दूसरी ओर बछड़ों की मौत का सिलसिला अब भी थम नहीं रहा । लोगों के लिए मामला अबूझ पहेली सा हो गया है।कारण कि नगर पंचायत द्वारा क्षेत्र के गौराबगही मठिया में संचालित गोशाला में 23 जुलाई से अबतक 8 बछड़ों की मौत की मौतें अबतक हो चुकी है। पोस्टमार्टम रिपोर्टों के अनुसार बीमारियों के कारण बछड़ों की मौत भिन्न भिन्न रोगों से बताई जा रही है मगर लोगों को हैरानी इसबात की है कि तमाम दावों डाक्टरों की टीम गठित व लाख प्रयासों के बावजूद आखिरकार बछड़ों की मौत का ये सिलसिला थम क्यूँ नहीं रहा? गौरतलब हो कि सोमवार को 8वें बछड़े की मौत की सूचना पाकर जिलाधिकारी भी आंखों देखा सच जानने नगर पंचायत के पुराने पानी टंकी परिसर में पहुँचे थे, जहाँ गोशाला परिसर के बरसाती जलजमाव के कारण गोशाला के पशुओं को अस्थायी रुप से रखा गया है। जिलाधिकारी बलिया ने इस दौरान न केवल प्रत्येक बिंदु पर गहराई से जाँच की बल्कि चार बिन्दुओं पर हिदायत भी दी साथ ही ये भी कहा कि एक भी बछड़ा मरा तो खैर नहीं ।वहीं सारे कागजात दुरूस्त रखने की भी हिदायत दी थी। बावजूद मंगलवार को जाँच में पहुचे उप निदेशक बचत आजमगढ़ मण्डल डॉ विजय कुमार मिश्रा ने उपस्थित पंजिका सहित खान पान रखरखाव में भारी गड़बड़ी पायी। वही विगत दो जून को नामित जाँच अधिकारी सीवीओ डॉ एस के बैध ने भी रजिस्टर में छेड़छाड़ पाया था।डीएम के सख्त हिदायत के बाद भी अभिलेखों में छेड़छाड़ किसी बडे घपले को उजागर करता है। अब देखना है स्थिति में कितना सुधार हो पाता है या नहीं। परन्तु लोगों का कहना है कि यदि जिम्मेदारों ने समय रहते इस ओर समुचित ध्यान दिया होता तो 8 बछड़ों को अपने जीवन से हाथ नहीं धोना पड़ता ।
रिपोर्ट राम मिलन तिवारी


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