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तेरा साईं तुझ में, तू जाग सके तो जाग



मनियर, बलिया। जैसे तिल में तेल है,ज्योंति की चमक में आग। तेरा साईं तुझ में है, तू जाग सके तो जाग।। जैसे तिल में तेल होता है और चकमक पत्थर में आग होती है जो दिखाई नहीं पड़ती। उसी प्रकार से तेरा प्रभु तेरे अंदर है, जिस पर भ्रम का पर्दा पड़ा है जिसके कारण वह दिखाई नहीं देता। अगर तुम देखना चाहो तो उसे सद्गुरु के बताए युक्ति से देख सकते हो। उक्त बातें प्रेम रावत जी ने मनियर परशुराम स्थान के पास सोमवार की रात को प्रोजेक्टर के माध्यम से तीसरे दिन समापन  समारोह पर उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि उस अलग पुरुष अविनाशी को मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी पूजते हैं। हमें उन्हें मानने की नहीं जानने की आवश्यकता है। 
उन्होंने विश्वास के बजाय अनुभव पर जोर दिया। कहा कि विश्वास से काम नहीं बनेगा। उस प्रभु के अनुभव से बनेगा यानी भगवान है यह मानना नहीं है बल्कि जानना है। हम भजन के माध्यम से जान सकते हैं। हमें भगवान को सद्गुरु लखा सकते हैं।आगे कहा कि अगर संसार में शांति स्थापित नहीं होगी तो इस संसार में कोई नहीं बचेगा।अशांति  जानवर में नहीं बल्कि मनुष्य में हैं । उन्होंने अंत में कहा कि काम क्रोध मद लोभ मनुष्य का बैरी है। उस पर विजय प्राप्त करके ही ज्ञान को पाया जा सकता है ।
काम क्रोध मद लोभ लुटेरे ।
जनम जनम के बैरी मेरे।।
इसके साथ ही कार्यक्रम का समापन गंगापुर निवासी पारसनाथ तिवारी ने किया।

रिपोर्ट राममिलन तिवारी

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