फेल हो रहा गंगा को रोकने का बंबू क्रेट तरीका, तबाही मचाने को मचल रही लहरें
# थोथा साबित हो रहा राहत पहुंचाने का प्रशासनिक दावा
# बढ़ने लगा एनएच-31पर दबाव
उल्लेखनीय है कि पिछले एक सप्ताह से गंगा के लस्तर में लगातार वृद्धि एक दर्जन से अधिक गांवों के 50 हजार से अधिक आबादी के लिए काफी मुश्किलों का कारण बन गया है। सरकार कटान रोकने के लिए बढ़चढ़ कर दावे जरूर कर रही है किंतु धरातल पर कोई प्रयाससफल होता नहीं दिखाई दे रहा है। सुघर छपरा, चौबेछपरा, उदईछपरा, केहरपुर, गोपालपुर, दुबेछपरा, प्रसाद छपरा, बुधनचक, पांडेयपुर, गुदरी सिंह के टोला, मुरली छपरा, चिंतामणि राय के टोला, मिश्र गिरि के मठिया, मिश्र के हाता सहित एक दर्जन से अधिक गांवों की स्थिति बाढ़ के कारण गंबीर बनी हुई है। करोड़ों की खरीफ की फसल बाढ़ के पानी में डूब चुकी है। घरों में ईँधन के अभाव में बोजन नहीं बन पा रहा है। बिजली सप्लाई बंद किया जाना बाढ़ पीड़ितों के लिए कोढ़ में खाज बना हुआ है। अगर एक-दो दिन इसी तरह गंगा के जलस्तर में बढ़ाव जारी रहा तो बाढ़ की स्थिति विस्फोटक हो जाएगी। खबर लिखे जाने तक उदईछपरा निवासी रामपरसन सिंह, प्रेम उपाध्याय, बासुदेव उपाध्याय, भरत उपाध्याय, नागा उपाध्याय, शत्रुघ्न उपाध्याय का घर गंगा में विलीन हो गया था और कई घरों के विलीन होने का क्रम जारी था।
बाढ़ प्रभावित आधा दर्जन गांव में नहीं पहुंची नवकाएं
बैरिया,बलिया। प्रसाद छपरा, सुघर छपरा सहित आधा दर्जन बाढ़ से डूबे गांवों में प्रशासन द्वारा नौका आदि अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। न ही इन गांवों के बाढ़ पीड़ितों को बंधे पर अस्थायी आशियाना बनाने के लिए तिरपाल ही उपलब्ध कराया गया है। जिससे लोग परेशान हैं। नौकाओं की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर पानी में चलकर आ-जा रहे हैं। इससे हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है।
प्रसाद छपरा के ग्रामीणों ने बताया कि कुछ लोग एनएच 31 पर शरण लिए हुए हैं तो कुछ लोग घरों के छतों पर। उन्हें राहत व सहायता के नाम पर कोई सहायता शासन-प्रशासन से नहीं दी गई। रात में भूखे पेट सोना उनकी मजबूरी बन गई है क्योंकि खाना बनाने के संसाधन बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं।
पीड़ितों की मदद को उठे सैकड़ों हाथ
बैरिया, बलिया। बाढ़ पीड़ितों की मदद में आम लोगों ने अपना हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है। बैरिया निवासी नितेश सिंह, दयाछपरा निवासी रितेश पांडेय, विनायक सिंह ने प्रसाद छपरा के लोगों को खिचड़ी बनाकर भोजन कराया। वहीं सुबह नाश्ते में चूड़ा व गुड़ भी सैक़ड़ों बाढ़ पीड़ितों में वितरित किया गया। बाढ़ पीड़ितों ने आरोप लगाया कि उनकी सुधि लेने के लिए कोई नहीं आ रहा है, हम लोग अपने हाल पर जीने-मरने को मजबूर हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीबी मिश्र द्वारा बाढ़ पीड़ितों में राहत-सामग्री वितरित की गई। दूसरी तरफ विधायक सुरेंद्र सिंह द्वारा भी बाढ़ पीड़ितों को लंगर चलाकर भोजन कराया जा रहा है।
लापरवाही पड़ी भारी, लग गई एसडीएम और तहसीलदार की क्लास
बैरिया, बलिया। बाढ़ पीड़ितों में राहत सामग्री का वितरण शुरू नहीं होने से नाराज जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत ने बैरिया के एसडीएम दुष्यंत कुमार मौर्य व तहसीलदार श्रवण कुमार राठौर का जमकर क्लास लिया। बाढ़ पीड़ितों के बीच ही जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को काफी भलाबुरा कहा। बाद में किसी तरह शांत हुए जिलाधिकारी ने बांसडीह के तहसीलदार गुलाब चंद्रा को नोडल अधिकारी नियुक्त कर अपने देखरेख में राहत सामग्री का वितरण व बचाव राहत कार्य करवाने का निर्देश दिया। वहीं जिलाधिकारी ने नाव पर सवार होकर गांव में जाकर बाढ़ पीड़ितों का कुशलक्षेम जाना और उन्हें भरोसा दिलाया कि उत्तर प्रदेश सरकार आपके साथ है। बाढ़ दैवीय आपदा है किंतु इस दैवीय आपदा में आप को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए हम लोग सतत प्रयत्नशील हैं।
पुलिस की निगाहबानी में बटी राहत सामग्री
बैरिया,बलिया। अपर पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार की देखरेख में पुलिस की कड़ी सुरक्षा में गुरुवार को बाढ़ पीड़ितों में बाढ़ राहत सामग्री का पैकेट वितरित किया गया। जिसमें 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, दो किलो भुना हुआ चना, दो किलो अरहर का दाल, आधा किलो नमक, एक पाव हल्दी, एक पाव मिर्च, एक पाव धनिया, एक पाकेट मोमबत्ती, एक पाकेट माचिस, 10 पाकेट बिस्कुट, एक लीटर रिफाइन, 10 किलो आलू व दो किलो ग्राम लाई शामिल थी।
रिपोर्ट धीरज सिंह
पत्रकार भाइयों से अनुरोध है की बाढ़ की रिपोर्टिंग करते समय पारंपरिक टर्म "दैवीय आपदा" शब्द का इस्तेमाल ना करें । इससे हिंदुओं के आराध्य देवतागणों की मानहानि होती है । बाढ़, पूरी तरह इंसानी और आसुरी आपदा है । इसलिए बाढ़ को हमेशा "आसुरी आपदा" के रूप में ही वर्णित किया जाना चाहिए ।
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