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लाल निशान के पार पहुंची घाघरा, दहशत में लोग



मनियर, बलिया। खतरा बिन्दु से उपर बह रही घाघरा नदी ने अपनी आंखें तरेरना शुरू कर दिया।जिससे तटवर्ती गांव के लोगों में दहशत व्याप्त है।गौरतलब हो कि जिस बेग से नदी पानी बढ रहा है उससे नदी के किनारे बसे लोगों को चिन्ता सताने लगी है कि कहीं गंगा नदी के किनारे दुबे छपरा गावं के तरह जललात न झेलना पड़ जाय। खतरे के निशान से उपर बह रही घाघरा का पानी मनियर क्षेत्र के आराजी दियर में पुल पुलिया के माध्यम से खेतों में बहने के साथ गावों में दबाव बनाने लगी है। घाघरा नदी के बढोत्तरी से जल स्तर में और बढ़ोतरी होती जा रही है नदी के पानी से मनियर दियरा टुकड़ा नंबर 2, एलासगढ़, सांगापुर, गोंड़वली, ककरघट्टा, अराजी दियर, पीलूई, बहादुरा, निपनिया, लेतरहा, गायघाट, खरीद, पुरुषोत्तम पट्टी सहित आदि गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश करना शुरू कर दिया है। ककरघट्टा गांव के बाशिंदों ने बताया कि जलस्तर में बढ़ोतरी से कटान अंदर ही अंदर हो रहा है। जैसे जैसे पानी कम होगा तो कटान बढ़ने का खतरा और बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त संक्रामक बीमारियां भी फैलने की आशंका है। वहीं सोमवार को जीवित्पुत्रिका पर्व होने के कारण ककरघट्टा घाघरा नदी के तट पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल भी मौजूद देखी गयी।

घाघरा का तेवर देख रातजगा कर रहे लोग


सिकन्दरपुर, बलिया। घाघरा के खतरे के लाल निशान पार करने से कठौड़ा, सीसोटार, गोसाईपुर, खरीद गांव के डेरा बाढ़ के पानी से घिर गए है। घाघरा नदी का जलस्तर सोमवार को सुबह दस बजे तक 64.167 मीटर दर्ज किया गया। केंद्रीय जल आयोग द्वारा तुर्तीपार हेड पर नदी का जलस्तर खतरा निशान 64.010 मीटर के सापेक्ष 15.4 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है और बढ़ाव लगातार जारी है। इससे तटवर्ती इलाकाईयों में दहशत व्याप्त है। नदी के दबाव व जलस्तर में बढ़ाव को देखते हुए तटवर्ती लोग सहम कर रतजगा कर रहे है। इस क्षेत्र में प्रशासनिक द्वारा कोई सुविधा नहीं प्रदान किए जाने से लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

घाघरा का रौद्र रूप देख सहमे लोग


सहतवार,बलिया।सोमवार के सुबह घाघरा के जलस्तर 26 सेमी खतरे के निशान को पार करते हुए 58.26 से मीटर पर पहुँच गयी। घाघरा के बढते रौद्र रुप को देखते हुए क्षेत्र के चाँदपुर ( पुरानी बस्ती), कोलकला बिन्दबस्ती, पुराना चितविसाँव, रामपुर नम्बरी आदि गाँव के लोग सकते में है। बाढ के कहर से बचने के लिए लोग पशुओं के सुरक्षा के लिए ठिकाने के तलाश में जुट गये है।
बाढ के पानी से घिरे गाँव के लोगों के लिए शासन स्तर से अभी तक कोई नाव की कोई व्यवस्था नही की गयी है। घाघरा के जल स्तर ज्यादा बढ जाने के कारण कई बस्तियो से जुड़ने वाले सम्पर्क मार्ग पानी मे डूब गया है। जिससे लोगो को पशुओ के चारे के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगो का कहना है कि समय रहते नाव की व्यवस्था हो जाती तो पशुआंे के चारे के लिए परेशानी नहीं होती।

रिपोर्ट- राममिलन तिवारी, एसके शर्मा,श्रीकांत चौबे

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