बाढ़ की विभीषिका : घरों में घुसा गंगा जल
रामगढ़, बलिया ।दुबेछपरा,गोपालपुर के बाढ़ पीड़ित सिर्फ एनएच 31 पर ही नही बल्कि उनके घरों में आठ फिट ऊंचाई तक बाढ़ का पानी घुस गया है ऐसे अनेकों बाढ़ पीड़ित अपने अपने छतों पर पन्नी टांग कर गुजर करने को विवश है।इन बाढ़ पीड़ितों के सामने नित्य क्रियाक्रम से लेकर दैनिक उपभोग की सामाग्री तक की समस्या उतपन्न हो रही है।सबसे अधिक छोटे-छोटे बच्चे व बुजुर्गों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।ये बाढ़ पीड़ित अपने घरों का समान कुछ छतों पर बचा कर ले गए है और इनका अधिकतर सामान बाढ़ के पानी मे नष्ट हो रहा है।एनएच 31 पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों को कोई न कोई सहारा मिल जा रहा है लेकिन इन बाढ़ पीड़ितों के भोजन भगवान भरोसे ही होता है।छतों पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों का बाढ़ के पानी मे मकान गिरने का डर तो है ही किसी सर्प के काटने का भी डर सता रहा है।
छतों पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों के सामने से जब कोई एनडीआरएफ की नाव गुजरती है तो ये बाढ़ पीड़ित आशा भरी निगाहों से टकटकी लगाए खड़े हो जाते है।लेकिन इन बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का कितने सालों बाद तक निदान होगा यह कोई बताने वाला नही है।छतों पर शरण लिए हुए महिलाओं ने कहा कि सालों बाद जब दुबेछपरा रिंग बंधे का निर्माण हुआ तो लगा कि अब बाढ़ से बेघर होने की समस्या का अंत हो गया है,लेकिन 41 करोड़ से अधिक खर्च होने के बाद भी हमारी समस्या समाधान होने के सापेक्ष और बढ़ गयी।अब तो रिंग बंधा कटा ही नही बल्कि एक किलोमीटर से अधिक का हिस्सा पूरी तरह नदी में विलीन हो गया है।ऐसे में अब हमारे गांव व पक्के महलों का अस्तित्व समाप्त होने वाला है।छतों पर रहने वाले बाढ़ पीड़ित महिलाओं ने कहा कि अभी तो छत बचा है तो अपने छत पर रात गुजार रहे है लेकिन जिस दिन हमारा गांव का अस्तित्व ही मिट जाएगा हम कहा जाएंगे सबसे बड़ी यह समस्या है।
रिपोर्ट - रविन्द्र नाथ मिश्र
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