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कैसे कटे दिन कैसे कटी राते पूछो ना साथिया.....!



रामगढ़, बलिया। कैसे कटे दिन, कैसे कटी रातें पूछों ना साथिया....!  कुछ इसी अंदाज में दूबेछपरा समेत दर्जनों गांवों के बाढ़ पीड़ित अपनी व्यथा का गान कर रहे हैं।  उनके दर्द का आलम यह है कि एक तो गंगा के कोप का कहर, दूजा मौसम की मार और ऊपर से प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेलना मानो उनकी नियति बन गई हो। तभी तो मुख्यमंत्री के महज 12 घंटे के भीतर राहत मुहैया कराने का फरमान भी इलाके में बेअसर साबित हो रहा है।  जिला प्रशासन के हुक्मरान बाढ़ राहत के नाम पर कोरम पूरा करने में जुटे हैं, जबकि बाढ़ पीड़ितों की समस्या है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही। तभी तो दुबेछपरा रिंग बंधा को टूटने के  उपरांत क्षेत्र के अन्य गांवों के बाढ़ पीड़ितों को अब प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा है।प्रशासन दूबेछपरा के बाढ़ पीड़ितों पर ज्यादा, केहरपुर के कटान पीड़ितों पर कम ध्यान दें रहा है। मुख्यमंत्री के 12 घंटे के अन्दर कटान पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा के बावजूद भी आज तक कटान पीड़ितों को पूछने तक कोई नहीं आया है, जिसको लेकर केहरपुर के कटान पीड़ित दुखी है।।

दुबेछपरा रिंग बंधा के टूटने से पहले ही केहरपुर गांव के सरकारी संस्थानों से लेकर दर्जन भर लोगों का आशियाना गंगा में समाहित हो गया था, जिसमें पानी टंकी, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय एएनएम सेन्टर राम जानकी मंदिर के साथ ही जय प्रकाश ओझा, रामनाथ ओझा, योगेंद्र ओझा, जलेश्वर दुबे, प्रभुनाथ ओझा, रमाकांत ओझा, रामशंकर चौबे, सुरेश सिंह सहित दर्जन भर लोगों का घर गंगा में समाहित हो गया था। उसके बाद रिंग बंधा टूटा और और दुबेछपरा, गोपालपुर, उदई छपरा, मुरली छपरा पांडेय पुर आदि पुरवा में पानी घुसा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कटान पीड़ितों के घरों, फसलों व खेतों के नुकसान का मुआवजा 12 घंटे के अन्दर दे दिया जाय पर 48 घंटे बीत जाने के बाद भी इन कटान पीड़ितों का कोई पूछनहार नहीं है। कटान पीड़ित एनएच 31 पर शरण लिए हुए है। इन लोगों के पास न तो पका पकाया भोजन न तो दवा की व्यवस्था न अस्थाई शौचालय की व्यवस्था और न ही पशुओं के चारा का पहुँच रहा है। इन कटान पीड़ितों का दर्द बाढ़ पीड़ितों के दर्द के आगे प्रशासन ने धूमिल कर दिया है। केहरपुर के कटान से बेघर हुए लोग इसके लिए बहुत दुखी है। कटान पीड़ित पप्पू ओझा का कहना है कि कटान के कारण हमारे गांव के दर्जनभर परिवार पर आफत आ गई है और इसी में प्रशासन सौतेला व्यवहार कर हम लोगों के जले पर नमक छिड़क रहा है।अभी तक हम लोगों को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिला है। कुछ लोग एनएच 31 पर शरण लिए है तो कुछ लोग रिश्तेदारों के यहाँ शरण लिए हुए
 है।

रिपोर्ट रविन्द्र नाथ मिश्र

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