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पंडित दीनदयाल का आर्थिक चिंतन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित



बलिया। बसंतपुर स्थित जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसके मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर प्रदेश एवं बिहार के प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक रामाशीष रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि पंडित दीनदयाल समग्रतावादी विचारक थे। व्यक्ति और समाज के विषय में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से सामंजस्य पूर्ण दृष्टि कोण रखते थे। पंडित दीनदयाल का आर्थिक चिंतन भारतीय संस्कृति मूल्यों पर आधारित था। उपाध्याय जी का स्पष्ट मत था कि गांव को सामाजिक और आर्थिक रूप से सूचित करना होगा। गांव की संपन्नता ही भारत की संपन्नता  है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर योगेंद्र सिंह ने कहा कि दीनदयाल जी समाज विज्ञान के कुशल अन्वेषक और अध्येता थे! उपाध्याय जी के आर्थिक चिंतन में मानवीय मूल्यो की प्रधानता थी। वह मनुष्य को पश्चिम के आर्थिक चिंतन की तरह धन पशु के रूप में स्वीकार नहीं करते। इनके अनुसार मानव केवल आर्थिक प्राणी नहीं है। वह सामाजिक भी है और धार्मिक भी है। इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय बाल संस्कार केंद्र भरतपुर एवं कुम्हिया में उपाध्याय जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में लिए गए सामान्य ज्ञान परीक्षा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले भैया बहनों और संस्कार केंद्रों की मुख्य शिक्षिकाओं बहन ज्योति एवं बहन बेबी को अंगवस्त्रम और भारत माता का स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
विषय प्रवर्तन जितेंद्र जी एवं डॉ जीपी सिंह ने किया। इस अवसर पर रामविचार पांडेय, साहित्यकार जनार्दन राय, डॉ. अंजनी कुमार सिंह, डॉ प्रतिभा त्रिपाठी, शुभ नारायण सिंह, संजय मिश्र, उदय प्रताप सिंह, डॉ अशोक सिंह, डॉ. ओपी यादव, डॉ. केके मिश्र, श्रीमती रंजना राय, नंदलाल, अंशोक पांडेय, श्रीप्रकाश, शैलेश पांडेय आदि मौजूद रहे। संचालन पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के संयोजक डॉ.रामकृष्ण उपाध्याय ने किया।


रिपोर्ट नवनीत मिश्रा

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