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काश! एक दीपक कोई यहां भी जलाया होता





रामगढ़,बलिया।  रहने को घर नहीं सोने को बिस्तर नही...अपना खुदा है रखवाला....... हिंदी फिल्म सड़क का ये गीत गंगा के कटानपीड़ितों पर सटीक बैठ रहा है। रविवार के शाम से ही हर तरफ हर घर हर मकान जहाँ भी देखा जाए वहाँ दीप प्रज्वलित दिखाई दे रहा था लेकिन जैसे ही रामगढ़ से आगे आये तो दुबेछपरा मोड़ से दयाछपरा गंजहवा बाबा के बीच रोड के किनारे प्लास्टिक का तिरपाल लगाकर जीवन यापन कर रहे कटानपीड़ितों की स्थिति देख कर आँखों मे आँसू आ गये। एक तरफ जहाँ सूबे के मुखिया राम राज्य का सपना दिखाते हैं वहीं इन कटानपीड़ितों का छत छिनने के बाद काश प्लास्टिक के झोपड़ी में भी दीवाली का एक दीया किसी जनप्रतिनिधि या मुख्यमंत्री द्वारा जलाने की कल्पना भी की गई होती तो खुशियों की एक झलक यहाँ भी दिख जाती। 
गंगाकटान पीड़ित रोड के किनारे प्लास्टिक लगाकर जीवन यापन कर रहे उदईछपरा निवासी लालजी मल्लाह, टुनटुन मल्लाह नथुनी मल्लाह से जब दीवाली पर किसी जनप्रतिनिधि या सरकारी मुलाजिम के आने की बात पूछी गयी तो आँसू भर आंख पोछते हुए बताये की दीवाली के दिन बच्चे पटाखा, मिठाई और दीया लाने की जिद करते रहे लेकिन विवशता ऐसी की बच्चों को इधर उधर की बातों में बहला कर अंधेरे में दीवाली की रात गुजरना पड़ा। वहीं भरत मल्लाह, लक्ष्मण मल्लाह, मुन्ना मल्लाह, मोहन मल्लाह, सन्तोष, धनंजय और मनोज ने शासन प्रशासन के साथ घड़ियाली आँसू बहाने वाले स्थानीय नेताओं के प्रति भी नाराजगी जाहिर किया। 

साढ़े पांच लाख दीया जलाया, फिर भी अंधेरा


रामगढ़,बलिया । दीपावली के पूर्व संध्या पर अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल के साथ पूरे मन्त्रिमण्डल की मौजूदगी में करोड़ों रुपए खर्च करके दीप प्रज्वलन का गिनीज बुक में रिकार्ड दर्ज कराया गया। यदि बलिया जिले की बात की जाए तो बलिया के युवा और लोकप्रिय मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल सहतवार में दीप प्रज्वलित कर दीवाली मनाये वहीं स्थानीय सांसद रानीगंज में स्ट्रीट लाइट के उद्घाटन में व्यस्त रहे और जिलाधिकारी बलिया स्टेडियम में दीपोत्सव के साथ खुशियां मनाया लेकिन किसी के ध्यान में इनका नाम नहीं आया और ना ही किसी ने एक मिठाई तो दूर की बात एक मिट्टी का दीया भी इनके लिए उपलब्ध कराना जरूरी नहीं समझा।

चौबीस घण्टे में मुआवजा का वादा भी हवा हवाई


रामगढ़,बलिया । दीपावली के दिन पूरा देश जब जश्न में डूबा था तो कटानपीड़ित अपने प्लास्टिक के झोपड़ी में अंधेरे के साथ अपनी दीवाली मनाते नजर आये। प्रदेश के मुखिया हवाई सर्वे के बाद चौबीस घण्टे के भीतर मुआवजा और राहत निधि से धन देने की घोषणा करके गए लेकिन एक महीने बाद भी कुछ नहीं मिला। कटानपीड़ितों का आरोप है कि यदि राहत कोष से कुछ रुपया भी मिला होता तो बच्चों की दीवाली भी मनाई जा सकती थी।


रिपोर्ट— रविन्द्र नाथ मिश्रा

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