खस्ताहाल संपर्क मार्गों पर पैदल चलना हुआ दुष्कर
रेवती,बलिया । भारत गांवो का देश हैं । देश की लगभग 70% आबादी आज भी गांवो में निवास करती हैं । उनकी जीविका का मुख्य साधन खेती किसानी के साथ पशुपालन है।
केन्द्र व प्रदेश सरकार का बजट का बहुत बड़ा हिस्सा गांवो के विकास पर खर्च किया जा रहा है । बिजली , पानी व संपर्क मार्गो के बनने से शहर की सारी सुविधाएं अब गांवो में भी देखने को मिल रही हैं।
विडम्बना कि बात यह है कि इतने दशक बाद भी रेवती क्षेत्र के संपर्क मार्गों की खस्ताहाल के चलते जहां विकास कार्र प्रभावित हो रहा है वही इन संपर्क मार्गों पर सवारी की कौन कहें पैदल चलना भी दुष्कर हो गया है । रेवती पचरूखिया मार्ग इस समय इतना अत्याधिक क्षतिग्रस्त है कि बाईक चालक जान जोखिम में डालकर इस मार्ग से आ जा रहें हैं । गंगा व घाघरा के बीच स्थित रेवती , भाखर , विसनपुरा , गायघाट , कुआंपीपर ,कंचनपुर , केवा,पियरौटा, रामपुर , दिघार , पचरूखिया , चौबेछपरा , छेड़ी आदि एक दर्जन गांवो के लोग प्रति दिन आते जाते हैं । संपर्क मार्ग के क्षतिग्रस्त होने से आज तक इस मार्ग पर सवारी (साधन) नही सुनिश्चित हो पाया ।
लोग पैदल या निजि साधन से गंगा ओहार व रेवती रेलवे स्टेशन ट्रेन पकड़ने के लिए आते है । कुछ ऐसा ही क्षेत्र के रेवती से कुसौरीकला जाने वाले संपर्क मार्ग का है । इस संपर्क मार्ग की स्थिति इतनी दयनीय है कि इस पर भी आज आने जाने के लिए साधन (सवारी) का अभाव है । जन प्रतिनिधि व जिम्मेदार भी मौन साधे हुए है। खस्ताहाल संपर्क मार्गों से जनता परेशान है वही विकास भी अवरूद्ध है ।
रिपोर्ट : अनिल केशरी
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