जलती है आग सीने में नहीं डरती सिकन्दर से, हूँ पापा की बेटी डरी रहती हूँ अन्दर से?
बलिया। आखिर कहाँ जा रहा है यह सभ्य कहा जाने वाला समाज दर्द भरी चीत्कार हर तरफ सुनाई दे रही है। आज आधुनिकता का ढिढोरा पीटने वाले समाज में शर्मिन्दगी भरी ईबारत मीडिया में जलती है आग सीने में नहीं डरती सिकन्दर से, हूँ पापा की बेटी डरी रहती हूँ अन्दर से?
छप कर आ रही मासूमों के साथ की जा रही दरिन्दगी दुराचार अत्याचार हत्या बलात्कार व्यभिचार की हकीकत को देखकर सिसकती हुयीआखो मेंअश्रू धारा मचल उठी है कलम दर्द की दास्ताँ को लिखने के लिये आतुर हकीकत जानकर आत्मा कराह उठी घृणा भर ऊठा है दिल में इस देश की महकती मिट्टी में पल रहे हैवानो के करामात को देखकर, सुनकर, दिल बार बार पूछ रहा है आखिर क्या हो गया है इस देश के निवासियों को दरिन्दगी भरी जिन्दगी देकर समाज में दहशत फैलाना फीर हत्या बलात्कार जैसा जघन्य अपराध को करना कहाँ तक जायज है?
इस देश का लचीला कानून इस जनून को रोकने मे पूर्णत अक्षम होता जा रहा है रोजाना कहीँ न कही बेटी बे मौत मारी जा रही है बलात्कार का शिकार हो रही है दुराचार झेल रही है। कही फूलन देवी के तरह प्रतिशोध की ज्वाला भङक उठी तब क्या होगा इस देश के कानून का? सोसल मिङीया मे आजकल दो दिनो से प्रियंका बलात्कार काङ चर्चा में है लगातार समाचार प्रकाशित हो रहे है पढ सुनकर दिल दहल जा रहा है मन फीर एक बार कह उठा है आखिर कहां जा रहा है सभ्य समाज? क्या हम आदमी कहलाने लायक रह गये हैं? इस लोकतन्त्र की सुंदर सी कानूनी दीवार पर जो कालिख रोजाना लग रही है असल में वह कालिख सिर्फ कानून की दीवार पर नहीं है। बल्कि सभ्य समाज के मुंह पर पुत रही है।
हर आदमी खुद में गुनाहगार हो गया है? क्या यह देश और समाज जिस्म के भूखे भेड़ियों का बनकर रह गया है?। जहां पर बच्ची महिला बुजुर्ग कोई भी सुरक्षित नहीं है। हर कोई सरेयाम हवस का शिकार हो रहा है।बलात्कारी सरकारी गवाह बन कर मुस्करा रहा है।आखिर यह कैसी हवस,? कैसा पागलपन? क्या वाकई हम इंसान से दरिंदों में तब्दील होते जा रहे हैं? क्या आत्मा मर गयी है क्या संस्कार आचार बिचार सब कुछ संक्रमित हो गया है? क्या वासना का जहर सभ्य समाज में बेरोक टोक बढता रहेगा?और हम लाचार बिवस होकर केवल आँसू बहाते रहेगे?।नही अब वक्त आ गया नारी सम्मान के रक्षा का बहन बेटीयो की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद सम्हालानी होगी अत्याचारीयो का बिनाश दूर्गा भगवती सरीखे मातृशक्ति को करना ही होगा?
आज सिर्फ हैदराबाद प्रियंका रेड्डी की हम बात कर रहें हैं।,कल कोई दूसरी निर्भया होगी।आब तक न जाने कितनी निर्भया आत्याचिरीयो की लंका मे जल चुकी है। ताजा घटना हैदराबाद के तेलंगाना में पशु चिकित्सक प्रियंका रेड्डी की स्कूटी रात में पंचर हो गई थी। उन्होंने अपनी बहन को फोन किया कि उन्हें डर लग रहा है।,बहन ने कहा कि वह वहां से निकल जाए। लेकीन उन्हे क्या पता था कि आज जिन्दगी की आखरी शाम है ऊनके सामने इन्सान नहीं हैवान खङे है। प्रियंका को कुछ लोग उसकी तरफ आते दिखे तो उसने अपनी बहन को भरोसा दिया कि कुछ लोग करीब आ रहे हैं, शायद यह मदद करने आ रहे हैं। लेकीन उस समय प्रियंका का भ्रम टूट गया जब भूखे भेङीयो के तरह चारो हैवान लाचार बेबस प्रियंका को दबोच लिये इज्जत तार तार कर दिये, सुबह प्रियंका की जली हुई लाश मिली। प्रियंका को सामूहिक बलात्कार के बाद पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। आज मानवता शर्मशार हो गयी इन्सानियत कराह उठी।
आखिर क्या हो गया है हमें और समाज को? आखिर क्यों? क्या हम आदमी के भेष में भेड़िए हो गए हैं? क्या हम दरिंदे हो गए हैं?
पागल हो गए हैं। वहशी हो गये है? हम उस हिंदुस्तान की संस्कृति मे सांस लेते हैं,जहां पर नारी को शक्ति के रूप मे पूजा जाता है ।आज का समाज सब कुछ भूल गया। कैसे देश समाज इस अपराध को रोकने मे अक्षम हो गया है? कैसे करेगा कोई बेटीयो की खुलेयाम लुट रही आबरू के लिये प्रायश्चित। इस अपराध के खिलाफ नारी सम्मान के लिये सबको एक जूट होना पङेगा, समाज के शैतानो हैवानो को सबक सिखाना ही पङेगा? वर्ना आने वाला कल कलंकीत इतिहास की ईबारत लिखने मे गूरेज नही करेगा?एक ङाक्टर के साथ हुयी घिनौनी घटना को जबसे हमने सुना देखा है।
मेरी रूह को झकजोर कर रख दिया है।आखिरकार इस देश की मासूम बेटियों के साथ हो रहा अत्याचार बलात्कार दुर्ब्यवहार कब रुकेंगा?आज फिर एक वार इन्सानियत शर्मसार हो गयी । जिला इटावा के जसवंतनगर ब्लाक के धरवार गांव में 9 वर्ष की मासूम बिटिया को चॉकलेट का लालच देकर दरिन्दे ले गये और मासूम को रस्सी से बाँध कर हैवानो नेबड़ी बेरहमी सेबलात्कार किया और उसके बाद हत्याकर दी गयी आज भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। एकतरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलन्द कर रही है दूसरी तरफ निरंकुश आपराधी रोजाना हत्या बलात्कार कर नारी समाज पर प्रतिघात कर रहे है। आज की बर्तमान ब्यवस्था से लोगो की आस्था आहत हो रही है इन्सानियत रो रही है मानवता चीत्कार कर रही है। हम आप कैन्ङिल मार्च निकाल कर अपनी श्रद्धांजलि आर्पित कर सब कूछ भूल जाते है फीर वही कहानी दुहरायी जाती है? आईये संकल्प लें हम अब नहीं रूकेगे नहीं झूकेगे देश के नारी सम्मान के लिये हैवानो से सुरक्षा के लिये इन्कलाब लायेगे ? निर्भया, प्रियंका की आत्मा की शान्ती के लिये ऊठ खङा होईये ताकी कल फीर कोई प्रियंका निर्भया रौदी न जाय? यह आप की जिम्मेदारी भी है जरूरत भी है। इस देश की हर बेटी प्यारी है । चाहे वह हमारी है या तुम्हारी है।
अश्रू पूरित विनम्र श्रद्धान्जली
अखण्ड भारत न्यूज़ संवाददाता पिन्टू सिंह की कलम से


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