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" बुजुर्ग बोझ नही, इनका करे सम्मान"




रतसर(बलिया) क्षेत्र के जनऊपुर में जनऊबाबा साहित्यिक संस्था द्वारा बुधवार को हनुमत सेवा ट्रस्ट के परिसर में आयोजित " बुजुर्ग बोझ नही, इनका करे सम्मान" बिषयक गोष्ठी में वक्ताओं ने आज के परिवेश में बुजुर्गों की स्थिति पर अपने विचार रखे और युवा पीढी को सीख दी। गोष्ठी को संबोधित करते हुए डायट के पूर्व प्रवक्ता दिवाकर पाण्डेय ने कहा कि एक समय था जब बुजुर्ग को परिवार पर बोझ नही बल्कि मार्गदर्शक समझा जाता था। लेकिन आधुनिक जीवनशैली, पीढ़ियों में अन्तर, विचारों में भिन्नता आदि के कारण आज की युवा पीढ़ी निष्ठुर और कर्तव्यहीन  सी हो गई है। जिसका खामियाजा बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बड़े-बुजुर्ग परिवार की शान है। अपने प्यार से रिश्तों को सीचने वाले इन बुजुर्गों को भी बच्चों से प्यार व सम्मान चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अध्यात्मवेत्ता पं० भरत पाण्डेय ने कहा कि अपने बच्चों की खातिर अपनी पूरी जिन्दगी दांव पर लगा चुके इन बुजुर्गों को अपनों के प्यार की जरुरत है। यदि हम इन्हें सम्मान व अपने बीच स्थान देते है तो किसी मंदिर में रहना या बृद्धाश्रम की अवधारणा ही इस समाज से समाप्त हो जाएगी। निर्झर के संयोजक धनेश पाण्डेय ने कहा कि अपने घर पर अपने आसपास जहां भी बुजुर्ग मिले उनकी सेवा सम्मान करें। बेसहारा बुजुर्गों के साथ दो पल बिताएं, उनका अपने होने का एहसास दिलाएं, उनकी बात सुने। यकीन मानिएगा आपके हर सवालों का इनसे जबाब मिल जाएगा। इस अवसर पर सक्षम पाण्डेय, प्रेमनारायन पाण्डेय, करीमन राम, मदन मोहन पाण्डेय, शिवप्रसाद, परमेश्वर शर्मा, श्याम नारायन गुप्त ने अपने-अपने विचार रखे।गोष्ठी में परशुराम युवा मंच के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीकान्त पाण्डेय एवं संचालन हृदयानन्द पाण्डेय ने की।



रिपोर्ट : धनेश पांडेय

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