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देवासुर संग्राम के दौरान हुई थी इस शिवलिंग की उत्पति


बांसडीह,बलिया। आस्था का प्रतीक कोडर क्षेत्र के दहताल के किनारे स्थित बाबा सैदनाथ शिव मंदिर स्थित है। जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बलिया मनियर मार्ग के घोघा चट्टी के पूरब स्थित इस शिव मंदिर में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में आते हैं मान्यता है कि मंदिर के अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन मात्र से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है यह मंदिर मूल रूप से सैदपुरा गांव में स्थित है।  मंदिर के पश्चिमी छोर पर स्थित प्रसिद्ध दहताल मंदिर में चार चांद लगाता है। 

मान्यता है कि देवता असुर युद्ध की समाप्ति के उपरांत सुमेरु पर्वत से हुए समुद्र मंथन के दौरान ही इस शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी। कहा जाता है कि बाँसडीह के राजा रहे शुभ नारायण पांडे जंगल में खुदाई करा रहे थे। इसी बीच उनको खम्भे के आकार का एक शिवलिंग दिखाई दिया। इस शिवलिंग को वह नगर में लाकर स्थापित करना चाहते थे। लेकिन खुदाई के बाद भी शिवलिंग जमीन से बाहर नहीं आ सका तथा वहां खून  की धारा बहने लगी। उन्हें रात्रि में स्वप्न आने लगे कि तुम इस शिवलिंग को वहीं स्थापित करो। इसके बाद राजा ने वहां शिवलिंग को मंदिर का मूरत रूप दिया। ऐसा कहा जाता है कि किसी शुभ कार्य में बिना सैदनाथ महादेव को खुश किये कार्य नहीं करते। श्रावण माह एवम शिवरात्रि में श्रद्धालु गंगा जल कांवड़ से पैदल ही बाबा को जलाभिषेक करते हैं। 

शिव बारात की तैयारी में जुटे भक्त

बांसडीह,बलिया। महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोले बाबा की निकलने वाली शिव बरात की तैयारी जोरों पर है। क्षेत्र के सैदपुरा स्थित बाबा सैदनाथ, बेरुआरबारी स्थित बाबा शोखहरण नाथ (असेगा), राजपुर बड़सरी स्थित बाबा अवनिनाथ, बांसडीह कस्बा स्थित बाबा भूटेश्वर नाथ, बाबा रघुबेश्वर नाथ, पांडेय के पोखरा स्थित बाबा गरीबा नाथ, केवरा स्थित बाबा केव्रेश्वर नाथ, पुरेश्वर नाथ आदि मंदिरों की साफ सफाई सहित सजावट के साथ ही बाबा के भक्तों ने  बाबा की बारात की तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हुए है।

बांसडीह कस्बे से निकलने वाले भूटेश्वर नाथ शिव मंदिर के भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार के रूपों में बाबा की बारात निकाली जा रही है। जिसकी शुरुआत बाबा भूटेश्वर नाथ मंदिर बड़ीबाजर से होते हुए पूरे नगर का भ्रमण करते हुए पुनः बाबा के मंदिर पर ही समाप्ति होगी। इस बार नगर से निकलने वाली बरात पांच रथों में एक पर भगवान भोलेनाथ बसहा बैल पर सवार होकर दूल्हा बनेंगे, एक रथ पर ब्रह्मा जी, एक रथ पर भगवान बिष्णु, एक पर महर्षी नारद, तथा एक पर बाबा के बाराती रहेंगे। 


रिपोर्ट— रविशंकर पांडेय

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