“पंखे से लटकी मिली उम्मीदें: एक पिता की चुपचाप विदाई ने तोड़ दिया परिवार का दिल”
बलिया। शुक्रवार की सुबह जब सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के डोमनपुरा मोहल्ले की फिज़ाओं में हल्की ठंडक थी, तब किसी को क्या पता था कि ये सुबह एक परिवार की जिंदगी में अंधेरा भर देगी।
राजकीय पशु चिकित्सालय रुद्रवार में कार्यरत 50 वर्षीय सतीश राम का शव जब अस्पताल कार्यालय में पंखे से झूलता मिला, तो मानो वक्त थम सा गया। एक पिता, एक पति, एक इंसान—जो अपने परिवार के लिए रोज कमाने जाता था—आज हमेशा के लिए खामोश हो गया।
सतीश राम अपने परिवार के साथ अस्पताल परिसर में ही आवास में रहते थे। गुरुवार की रात रोज की तरह खाना खाकर वह बाहर चारपाई पर सोने चले गए थे। पत्नी इंदु देवी ने जब सुबह उठकर देखा कि चारपाई खाली है, तो उन्हें लगा शायद वह कहीं बाहर चले गए होंगे, लेकिन समय बीतता गया और वह लौटे नहीं।
परिवार की बेचैनी तब चीखों में बदल गई जब अस्पताल कार्यालय में उनका शव फंदे से लटका मिला। यह मंजर देखकर परिवार और पास के कर्मचारी टूट गए। बेटियां—अमृता, गोल्डी, संध्या—और छोटे बेटे कृष्णा व अरुण की आंखें जैसे रो-रोकर पत्थर हो गईं। सबसे छोटा अरुण तो बार-बार यही पूछता रहा, “पापा कहां चले गए?”
नशे की आदत, या कुछ और?
प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी अनिल राय बताते हैं कि सतीश राम शराब के आदी थे। कई बार समझाने के बावजूद वे खुद को नहीं बदल सके। शायद यही आदत उनके जीवन की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई।
लेकिन यह सिर्फ एक आदत की बात नहीं हो सकती। एक इंसान यूं अचानक कैसे चला जाता है? क्या कोई और वजह थी, जो उसकी आत्मा को तोड़ गई? इन सवालों के जवाब शायद अब सतीश राम के साथ ही चले गए।
पुलिस जांच जारी, परिवार बेसुध
प्रभारी निरीक्षक प्रवीण सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। फॉरेंसिक टीम ने मौके से साक्ष्य इकट्ठा किए हैं।
परिवार की हालत देखना दिल को चीर देने वाला है। इंदु देवी बेसुध हैं, और बच्चों के चेहरे पर खामोशी एक गहरी चीख बनकर छाई है।
एक परिवार ने अपना सहारा खो दिया, बच्चों ने अपना पिता, और एक पत्नी ने अपना जीवनसाथी। अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ आत्महत्या थी या उस दर्द की परछाई, जो सतीश राम हर रोज भीतर ही भीतर सहते रहे?
कभी न लौटने वाले उस एक शख्स की यादें अब पूरे परिवार को हर रोज रुलाएंगी...
By- Dhiraj Singh
No comments