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फांसी के तख्त से बचने को निर्भया के दोषी ने चली एक और चाल,मोहरा बने दिल्ली के डिप्टी सीएम



नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली का मुनरिका इलाका और 16 दिसंबर, 2012 की वह स्याह रात आज भी देश वासियों के जेहन में एक शूल की तरह चुभता रहता है। अगर कभी अदालती फैसले से उस दर्द की टीस कमतर होने को होती है तो कानून के पहरुए अपनी आड़ी—तिरछी चालों से बढ़ाने का काम करते ​है। दूसरे शब्दों में कहें कि उस रात 23 साल की एक पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ चलती बस में जिस दरिंदगी के साथ उसका बलात्कार कर हत्या की गई थी उससे भी ज्यादा दरिंदगी के साथ उसके आरोपियों को फांसी के तख्त से बचाने की जद्दोजहद आये दिने कानून के रहनुमा कर रहे है, तो कोई अतिशोक्ति नहीं होगी। यहीं कारण है कि तीन मार्च को फांसी का दिन मुकर्रर होने और डेथ वारंट जारी होने के बावजूद निर्भया केस के एक दोषी विनय शर्मा ने एक और दांव चला है। उसके वकील एपी सिंह ने चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में कहा गया है कि जब दिल्‍ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया ने 29 जनवरी को राष्‍ट्रपति के पास विनय की दया याचिका करने की सिफारिश की तो वो ना तो मंत्री थे और ना ही विधायक। ऐसा इसलिए क्‍योंकि उस समय दिल्ली में आचार संहिता लागू थी। 8 फरवरी को दिल्ली में इलेक्शन थे।

आचार संहिता में पद का उपयोग नहीं कर सकते थे मनीष सिसोदिया एपी सिंह ने इलेक्शन कमीशन में दाखिल की गई याचिका में कहा है, 'दया याचिका खारिज करने की जो सिफारिश दिल्ली सरकार ने की थी, उस समय वह (मनीष सिसोदिया) विधायक नहीं थे, क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू थी। 8 फरवरी को दिल्ली में इलेक्शन थे। ना ही वह दिल्ली सरकार के गृह मंत्री के पोर्टफोलियो पर थे। ना ही वह उस पद का उपयोग कर सकते थे।' व्हाट्सऐप के स्क्रीनशॉट से लगाई गई दस्‍तखत एपी सिंह ने दावा किया, 'दया याचिका को खारिज करने की सिफारिश करने की चिट्ठी पर दस्तखत व्हाट्सऐप के स्क्रीनशॉट से लगाई गई। ऐसा जल्दबाजी में किया गया।' बता दें कि दिल्ली सरकार में गृहमंत्री मनीष सिसोदिया थे और उन्हीं के दस्तखत से विनय की दया याचिका खारिज करने संबंधी सिफारिश, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेजी गई थी। एपी सिंह ने दया याचिका को खारिज करने की सिफारिश करने का विरोध किया है। गौरतलब है कि 1 फरवरी को विनय की दया याचिका खारिज की गई थी।



डेस्क

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