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बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब के हत्यारे को रात 12 बजे दी गई फांसी




नई दिल्ली। बांग्लादेश के संस्थापक और स्वतंत्रता सेनानी शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या में शामिल अब्दुल मजीद को शनिवार रात को फांसी पर लटका दिया गया है। मजीद को ढाका के पास स्थित केरानीगंज सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। आईडी (जेल) मुस्तुफा कमाल ने बताया है कि अब्दुल माजिद सेना का पूर्व कैप्टन था और 1975 में शेख मुजीब पर हमला कर उनकी जान लेने वालों में शामिल था।
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने कहा है कि चार दिन पहले मंगलवार को ही अब्दुल मजीद को ढाका से गिरफ्तार किया गया था। वह करीब 25 साल से भारत में छुपा था और हाल ही में बांग्लादेश पहुंचा था। उन्होंने बताया कि मजीद ने पब्लिक के बीच इस बात का ऐलान किया था कि वो शेख मुजीब की हत्या में शामिल था। उसने राष्ट्रपति अब्दुल हामिद के सामने दया की अर्जी दी थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद शनिवार शाम को उसकी पत्नी और परिवार से मुलाकात कराई गई। शनिवार और रविवार की रात 12 बजे उसे फांसी दे दी गई।
बांग्लादेश के गृहमंत्री ने कहा है कि मजीद ने 15 अगस्त 1975 को बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर उनकी हत्या करने का अपराध स्वीकार किया था। इसके बाद तीन दिसंबर 1975 को कड़ी सुरक्षा वाली ढाका जेल में कई नेताओं की हत्या में भी वह शामिल था।

बंगबंधु के नाम से मशहूर बांग्लादेश की आजादी के नायक, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रहे शेख मुजीबुर्रहमान और परिवार की 15 अगस्त 1975 में घर पर हमला कर हत्या कर दी गई थी। इसमें उनके परिवार के ज्यादातर लोग मारे गए थे। बांग्लादेश की मौजूदा पीएम शेख मुजीक की बेटी शेख हसीना उस वक्त घर पर नहीं होने की वजह से बच गयी थीं। इस मामले में मेजर वजलुल होदा, आर्टिलरी मुहीउद्दीन, कर्नल सैयद फारुख रहमान, सुलतान शहरियार, रशीद खान और लांसार महीउद्दीन अहमत को फांसी दी गयी थी। मामले की सुनवाई के बाद जिन लोगों को आजीवन कारावास अथवा फांसी की सजा सुनायी गयी थी, उनमें से सात लोग अब भी भागे हुए हैं। इनमें से एक अजीज पाशा की मौत हो जाने की खबर है। वहीं अब्दुल मजीद भी 1975 से फरार था।



डेस्क

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