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दिल्ली जमातियों के पैसा बाटने वाली खबर से ग्रामीणों मे अफरातफरी


रसड़ा (बलिया) कोरोना से अबतक 199 लोगों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रसड़ा तहसील क्षेत्र कैथीकलाँ गांव में एक छोटी सी अफ़वाहों ने गाँव के लोगों में कोरोना वायरस का दहशत पैदा कर दिया। जी हाँ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक घटना कुछ इस प्रकार से है  दिनांक  8 अप्रैल कों  हार्वेस्टर से गेहूँ की कटाई  के बाद गरीबों के एक दर्जन  बच्चे  दोपहर के वक्त खेत में गेहूँ की बालियां चुन रहे थे,तभी पड़ोसी गाँव जाम कोतवाली क्षेत्र रसड़ा निवासी अनिल चौहान पुत्र दीनदयाल चौहान ने  बच्चो को धूप मे बाल बिनते देख कर दया आ गई और  उन्होंने बच्चो के प्रति दया भाव दिखाते हुए सभी बच्चो को 10- दस व -20  रुपया देकर घर जाने को बोला।  जब बच्चे पैसे लेकर घर आये और अपने घर वालो को बताया कि पैसा मिला है  किसने दिया तो गांव के ही कुछ लोगों ने यह अफ़वाह उड़ा दी कि कोरोना वायरस फैलाने वाले गांव में वैश्विक महामारी फैलाने की नियत से नोट मे थूक लगा कर बच्चो के बीच पैसा बांट दिए ताकि गाँव में बीमारी फैल जाए। इस अफवाह का असर ये हुआ कि पूरे कैथी कला गांव में ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल पैदा हो गया। किसी ने आनन फानन में घटना की सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया और  आनन फानन में दलबल के साथ तुरन्त हरकत में आई पुलिस गांव में पहुंचकर सभी 15 लोगो को गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन हेतु रखने का निर्देश दिया। ग्राम प्रधान द्वारा सभी लोगों को विद्यालय पर समुचित व्यवस्था देकर ठहराया गया हैं । अब स्थिति ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक विद्यालयों की दशा किसी से छिपी नहीं है। इन विद्यालयो में न तो कायदे से शौचालय बने है न ही कोई अन्य व्यवस्था। ऐसे में प्रशासन द्वारा प्राथमिक विद्यालय पर एक दर्जन से उपर लोगो को क्वारंटाइन में रखना जहा कई सवालों को जन्म देता है वहीं गवई राजनीति को भी इससे हवा मिलती दिख रही है। प्रधानी का चुनाव भी इसी वर्ष के अंत तक होने की सम्भावना है। ऐसे में जहा वर्तमान प्रतिनिधि अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में अभी से जनता जनार्दन कि पावलगी  में जुट गए है वहीं प्रधान की कुर्सी पर कब्जा जमाने का ख्वाब देख रहे लोग भी एन केन प्रकारेण प्रधान को कमजोर करने की फिराक में लगे हुए है। गावों में तमाम भावी उम्मीदवार पोस्टर बैनर के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके है लेकिन वर्तमान दौर में ग्राम प्रधान की भूमिका पर सबकी नजरे टिकी हुई है क्योंकि कोई भी समाजसेवी या भावी उम्मीदवार जो स्वयं को सबसे अच्छा साबित करने की जुगत में लगा हुआ है, अभी तक गांवों  में निवास करने वाले किसी दिव्यांग, निराश्रित, रोज कमाने खाने वाले मजदूरों की सहायता के लिए आगे नहीं आए है। ऐसे में कैथी कला गांव की घटना भी कही किसी सोची समझी साजिश का हिस्सा तो नहीं है।
हालांकि कि पत्रकारिता धर्म को निभाते हुए इस खबर कि सच्चाई जानने के लिए क्षेत्राधिकारी  केपी सिंह से दूरभाष पर सम्पर्क किया मगर नेटवर्क खराब होने के कारण सही बात नहीं हो सका फिर संवाददाता ने प्रभारी निरीक्षक सौरभ कुमार राय से पूरे मामले को ध्यान आकृष्ट कराते हुए पूछा सर  क्या मामला कैथी कला गांव का है तो उन्होंने बताया कि दिल्ली आर्मी से रिटायर सेना का जवान उधर से अपने घर जाम आ रहा था तभी देखाकि छोटे छोटे बच्चे खेतों में गेहूं की बालियां उठा रहे थे उनके मन में दया आ गया और सभी  बच्चों को पैसा दिया और बोला कि सभी लोक घरों में सुरक्षित रहो सरकार द्रारा लाँक डाउन व सोशल डिस्टेंसिग का पालन करो जीवन अनमोल है । सभी बच्चे पैसा लेकर घर चले गये ।घर जाने पर बच्चों के हाथों मे नोट देखकर घर वाले पुछने लगें कौन दिया है इसपर बच्चों ने बताया कि कोई बाहर का था बस यही बात पूरे गांव में जगल मे आग की तरह फैल गई और गांव में अफरा तफरी मच गई हालांकि प्रशासन ने अगर तत्काल समझदारी से काम नहीं किया होता तो यह आग दूर तक पकड़ बना लेती ।हालांकि अभी भी गांव में ही सभी बच्चों को कोरंटाईन मे रखा गया हैं ।



रिपोर्ट : पिन्टू सिंह

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