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कोविंद-19 के बचाव के नाम पर जनता व व्यापारी हो रहें हैं प्रताड़ित

 
रेवती (बलिया) भारत की सर्वाधिक आबादी गांवों में निवास करती हैं । इधर परदेशियों के लगातार गांव, घर लौटने का क्रम लगा हुआ है । जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार गांव तक पहुंच गया है । प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी आह्वान किया था कि गांवों तक कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकना है । किन्तु स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव , डाॅ व स्टाप की पर्याप्त कमी,थाना व स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर परदेशियों की घर वापसी के बाद उनका रजिस्ट्रेशन व मेडिकल परीक्षण के बाद होम क्वारंटाइन किये जाने तथा बाद में किसी परदेशी के कोरोना संक्रमित पाये जाने पर हाट स्पाट के नाम पर पूरे गांव को सील किया जाना आम जनता व ब्यवसायी वर्ग के लिए काफी कष्टदायक साबित हो रहा है ।
गर्मी हो या बरसात कोरोना जल्द खत्म नही होने वाला है । अब कोरोना वायरस के साथ गांव, देहांत व शहर के  लोगों को जीना है । दो महीनें से चल रहें लाक डाउन के चलते कोरोना योद्धा के रूप में  घर परिवार से दूर रहकर सेवा कार्य में लगें स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस व सफाई कर्मी अब धीरे धीरे मांनसिक रूप से शीथिल हो रहे हैं । हाट स्पाट के नाम काफी बड़े भाग का बैरेटिंग कर आवागमन रोक दिया गया है । किन्तु जनता या ब्यवसायी लाक डाउन का पालन अब पहले जैसा नही कर रहें हैं । ब्यवसाय चौपट, काम धंधा ठप, बैंक बंद , रोस्टर वाईज कुछ क्षेत्रों में  दुकान खोलने की अनुमति किन्तु सरकारी शराब की दुकान पर चकाचक । सरे आम सोशल डिन्टेसिंग का उलंघन कर लोग शराब के लिए उमड़ पड़ रहे हैं । उधर संक्रमित परिवार के  परिजनों से आस पास के लोग
  तथा गांव वासी भयभीत व सशंकित रहते हैं । ऐसे में उनकी मदद की कौन कहे पैसा देने पर भी न तो सामान मिल रहा है और न कोई काम । प्रशासन को उनके परिवार की भी सुध लेनी चाहिए । कोरंनटाईन सेंटर केवल नाम के लिए है । होम क्वारंटाइन लोग भी   जब तब बाहर दिखाई दे रहे हैं । ऐसे में यदि कोई लाक डाउन तथा हाट स्पाट के नाम पर परेशान है तो वह है जनता व छोटे छोटे ब्यवसायी । आखिर कब तक ऐसा होगा होगा लोग भविष्य को लेकर काफी चिंतित व परेशान है ।


पुनीत केशरी

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