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ग्राम विकास अधिकारियों के अधिकार पर डाका


रसड़ा(बलिया) : भारत कृषि प्रधान देश है भारत में लगभग दो तिहाई जनता गावों में रहती है और ग्रामीण विकास की मूल इकाई अर्थात ग्राम पंचायतों को विकास खंडों के रूप में प्रशासित कर ग्रामीण विकास की दिशा व दशा निर्धारित व नियंत्रित की जाती है ।इन विकास खंड रूपी इकाइयों को क्षेत्र पंचायत कहा जाता है। जिसका मुख्य कार्यपालक अधिकारी, खंड विकास अधिकारी कहलाता है ।
30 अप्रैल 2020 को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा खंड विकास अधिकारी संवर्ग के 336 रिक्त पदों को अन्य विभागों के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रतिनियुक्ति से भरने हेतु एक पत्र आयुक्त ग्राम्य विकास को जारी किया गया जिसमें प्रादेशिक विकास सेवा की नियमावली में संशोधन कर इस प्रकार के प्रावधान को जोड़ने के निर्देश दिए गए इस पत्र के जारी होते ही दो अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई जिसमें पहली प्रतिक्रिया प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों द्वारा दी गई । जिन्होंने इन पदों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा भरने की बात कही गई उनके समर्थन में नेता प्रतिपक्ष श्री राम गोविंद चौधरी तथा अन्य जनप्रतिनिधियों ने शासन को पत्र भी लिखें हैं जबकि दूसरी प्रतिक्रिया उन कार्मिकों द्वारा दी गई जिन्हें इनमें से अधिकांश रिक्त पदों पर पदोन्नति का अधिकार प्राप्त है। ग्राम विकास अधिकारी एशोसियेन बलिया के अध्यक्ष एवं
ग्राम विकास अधिकारी एशोसियेन उत्तर प्रदेश के  प्रांतीय उपाध्यक्ष  हर्षदेव जी द्वारा अखण्ड भारत न्यूज़ संवाददाता को  बतलाया  कि प्रदेश में खंड विकास अधिकारी के कुल 855 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 50℅ अर्थात 427 पदों पर लोक सेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती किए जाने का प्रावधान है जबकि शेष 428 पदों को पदोन्नति द्वारा तीन विभिन्न पोषक पदों से भरे जाने की व्यवस्था है पदोन्नति कोटे के 32℅ अर्थात 274 पदों पर ग्राम्य विकास विभाग के संयुक्त खंड विकास अधिकारी पद पर कार्यरत कार्मिक पदोन्नति पाते हैं जबकि 10% अर्थात 86 पदों पर अर्थ एवं संख्या विभाग के सहायक अर्थ एवं सांख्यिकीय अधिकारी पदोन्नति प्राप्त करते हैं तथा शेष 8% अर्थात 68 पद सहकारिता विभाग के अपर जिला सहकारी अधिकारी द्वारा भरे जाने की व्यवस्था है वर्तमान में खंड विकास अधिकारी के रिक्त पदों में से 54 पद सीधी भर्ती के पद हैं जिनका अधियाचन विभाग द्वारा लोक सेवा आयोग को भेजा जा चुका है अतः प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों की चिंता व उनके पक्ष में लिखे गए जनप्रतिनिधियों के पत्र औचित्यहीन हैं 
पदोन्नति कोटे के पदों में से अर्थ एवं संख्या विभाग के 6, सहकारिता विभाग के 4 एवं ग्राम्य विकास विभाग के संयुक्त खण्ड विकास अधिकारी कोटे के 251 पद रिक्त हैं
ये आकड़े बताते हैं कि खण्ड विकास अधिकारी संवर्ग के पदों के रिक्त रहने का बड़ा कारण ग्राम्य विकास विभाग द्वारा स्वयं अपने ही विभाग के संयुक्त खण्ड विकास अधिकारी कोटे के पदोन्नति के पदों को रिक्त रखना है ।
संयुक्त खंड विकास अधिकारी के पदों के निरंतर रिक्त रहने के कारणों की विवेचना करने पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि इस पद पर शत प्रतिशत ग्राम्य विकास विभाग के सहायक विकास अधिकारी पद के कार्मिकों को पदोन्नति दी जाती है जिनकी अहर्कारी सेवा सहायक विकास अधिकारी के रूप में 7 वर्ष है जबकि खंड विकास अधिकारी के दो अन्य पोषक पदों अर्थात अपर जिला सहकारी अधिकारी एवं सहायक अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी के पोषक सहायक विकास अधिकारी पदों पर इतनी लंबी अहर्कारी सेवा का प्रतिबंध नहीं है जिस कारण अर्थ एवं संख्या विभाग तथा सहकारिता विभाग के सहायक विकास अधिकारी शीघ्र ही खण्ड विकास अधिकारी के पोषक संवर्ग में पदोन्नति प्राप्त कर लेते हैं ।तथा उनके कोटे के खण्ड विकास अधिकारी के पद लगभग भरे रहते हैं तथा ग्राम्य विकास विभाग के स्वयं अपने पदोन्नति कोटे के अधिकांश पद रिक्त रहते हैं। अर्थात चिराग तले अन्धेरे की कहावत चरितार्थ हो रही है
ग्राम विकास अधिकारी एसोसिएशन पदोन्नति की इस विसंगति को दूर कराने के लिए वर्षों से संघर्षशील है तथा वर्ष 2016 में एसोसिएशन के अनुरोध पर आयुक्त, ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश द्वारा बनाई गई एक कैडर पुनर्गठन समिति ने सहायक विकास अधिकारी से संयुक्त खंड विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति हेतु 3 वर्ष की अहर्कारी सेवा को उचित मानते हुए शासन को संयुक्त खंड विकास अधिकारी नियमावली 1991 में संशोधन का प्रस्ताव प्रेषित किया था जिस पर तत्कालिक प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास द्वारा सैद्धांतिक सहमति भी प्रदान की गई थी परंतु विभाग में बैठे मठाधीशों द्वारा अपने छुद्र स्वार्थों को पूरा करने के लिए इस नियमावली संशोधन को कैबिनेट तक नहीं जाने दिया गया जिस कारण सहायक विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत कार्मिक,अधिकांशतः इसी पद से सेवानिवृत्त हो जाते हैं तथा संयुक्त खंड विकास अधिकारी के पद निरंतर रिक्त रखे जाते हैं जिसका अंतिम परिणाम इस कोटे के 274 खंड विकास अधिकारी के पदों में से अधिकांशतः रिक्त रहने के रूप में सामने आता रहा है।
यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि अन्य विभागों के अधिकारियों को खंड विकास अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार देने का एक आदेश 20 सितंबर 2017 को भी शासन द्वारा जारी किया गया था जिस के परिपालन में लगभग सभी जनपदों में अन्य विभाग के अधिकारियों को खंड विकास अधिकारी का प्रभार दिया गया था जिसके दुष्परिणाम 1 वर्ष के भी कम समय में ही सामने आए तथा शासन को विवश होकर 14 सितंबर 2018 को वह आदेश निरस्त करना पड़ा था जिसमें निरस्तीकरण का स्पष्ट कारण अंकित किया गया था कि अन्य विभाग के अधिकारियों के संबंध में निरंतर भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं ।
अब पुनः इस प्रकार का आदेश जारी करना, प्रदेश की ग्रामीण जनता को भ्रष्टाचार के दलदल में धकेलना होगा जिससे वर्तमान सरकार की साफ-सुथरी छवि भी प्रभावित होने की आशंका है अतः इन रिक्त पदों को अन्य विभाग के अधिकारियों से भरने के स्थान पर तत्काल ग्राम्य विकास विभाग के सहायक विकास अधिकारी की अहर्कारी सेवा में शिथिलीकरण कर संयुक्त खण्ड विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति करनी चाहिए तथा भविष्य के लिए संयुक्त खण्ड विकास अधिकारी सेवा नियमावली में अतिशीघ्र संशोधन करते हुए भरे जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए जो ग्राम्य विकास विभाग की ईमानदार छवि को बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगी ।तथा विभाग की कार्यप्रणाली से अवगत कार्मिक पदोन्नति प्राप्त होने पर उच्च पद पर जाकर कुशलता पूर्वक ग्राम्य विकास की योजनाओं को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करेंगे ।



रिपोर्ट : पिन्टू सिंह

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