Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

नहीं रहे रामबदन को भगत बनाने वाले बालचंद



बलिया:  कर्म की प्रधानता में विश्वास रखने वाले और अपनी प्रेरणा से अपने पुत्र रामबदन भगत को माँ काली का उपासक बनाने वाला वह महापुरुष आखिरकार पंचतत्व में विलीन हो गया.जिसकी उपस्थिति मात्र से पकड़ी धाम स्थित काली मंदिर परिसर में रौनक भर जाती थी.




 वैसे तो भक्तों में पकड़ी धाम की अपनी एक अलग महत्ता है लेकिन काली मां की धाम को विशिष्ट पहचान दिलाने में मंदिर के पुजारी और मां काली के उपासक रामबदन भगत की खासी भूमिका है. 

इन सब के पीछे जिस शख्स ने पर्दे के पीछे रहकर पकड़ी  गांव स्थित मां काली के मंदिर को धाम के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई वह बालचंद राम रहे. जो मंदिर के पुजारी और मां काली के उपासक रामबदन भगत पिता भी हैं. लेकिन दुखों का पहाड़ उस वक्त मंदिर के पुजारी पर बज्रपात बन गिर पड़ा जब बीते 5 मई को उपचार के दौरान उनके पिता बालचंद राम(87) पुत्र राम चंद राम का बलिया स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया. इस घटना के बाद से पकड़ी स्थित काली धाम परिसर में सियापा पसरा है.


यह वही बालचंद राम थे जिन्होंने अपनी कर्तव्य परायणता और लगन शीलता के बूते करीब 7 पीढ़ियों से पूजी जाने वाली मां काली के पकड़ी स्थित मंदिर को धाम के रूप में परिवर्तित करा दिया जहां आज भक्तों का मेला लगता है. लेकिन इस स्थान को धाम बनाने के लिए उन्होंने अपने चार पुत्रों विशेषर, राम बदन, लालबाबु, बड़े बाबु और दो पुत्रियों विद्यावती और दुर्गावती में दूसरे नंबर के पुत्र राम बदन का चयन किया था.

  मंदिर के पुजारी रामबदन भगत के पिता की निधन की सूचना जैसे ही लोगों को मिली शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया. लोग इस बात को लेकर तब-तब थे कि कल तक उनकी आंखों के सामने भला चंगा दिखने वाले बालचंद आखिर अचानक में छोड़ कर देते चले गए लेकिन यह तो कटु सत्य है की जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है और विधि के विधान में इसी को एक बार फिर परिभाषित किया है.



डेस्क


No comments