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अनलाक-1 में खुला बाजार तो टूटने लगी मर्यादा




रतसर (बलिया):  वैश्विक महामारी  कोविड 19 से बचाव के लिए देश में 25 मार्च से प्रभावी 75 दिनों के लाकडाउन के बाद अनलाक 1.0  के शुरू होते ही लोंगो के मन से कोरोना का भय छूमंतर होता दिख रहा है। अब कहीं भी इसका भय नही दिख रहा है। अधिकतर लोंगो के मुंह से जहां मास्क उतर गया है वहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ भी लोग भुलते जा रहे है। क्षेत्र के बाजारों की बात की जाय तो बाजार गुलजार है और जिला  प्रशासन द्वारा लागू रोस्टर को ताक पर रखकर लगभग सभी प्रकार की दुकानें रोज ही खुल रही है।कोविड-19 से बचाव के लिए सुझाये गये नियमों की अनदेखी अब आम बात हो गई है। बाजार के दुकानों पर कहने भर के लिए सेनेटाइजर आदि रखा गया है । दुकानों पर ना तो सोशल डिस्टेंसिंग दिख रहा है ना दुकानदार ग्राहकों का हाथ सेनेटाइज कराते दिख रहे है।

 देशभर में व्यापारिक गतिविधियों को सुचारू कर अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के मुताबिक आठ मार्च से सभी तरह के प्रतिबंध को हटा लेने की खबर को लोग सबकुछ सामान्य हो जाने की स्थिति मानकर छूट के साथ शर्त व सावधानियो को भुला बैठे है। उदाहरण स्वरूप आठ जून को कस्बा के साप्ताहिक बाजार के दिन मछली का बाजार भी सज गया।  जबकि मछली व मीट मुर्गे की बिक्री के लिए किसी तरह का दिशानिर्देश जिला प्रशासन से नही मिला है। वैसे तो  कस्बे के मुहल्लों में मछली बेचने वाले मछली लेकर रोज ही फेरी लगाते है और मछली बेचते है। मीट और चिकन की दुकान भी कस्बा के कई मुहल्लों मे सजती है और धड़ल्ले से बिक्री होती है। ऐसी स्थिति के लिए प्रशासन की उदासीनता को लोग कारण मान रहे है।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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