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इस नन्हीं परी ने दिखाया समाज को आईना


आईने में खुद को निहारते वक़्त ,अब आईना भी पूछ बैठा
क्या तुम वहीं इंसान हो, जिसको उस रब ने भेजा।
इंसानियत को छोड़ अब हैवानियत पे तू उतर गया,
प्यार बांटना काम था तेरा ,पर तु नफरत फैलाने पर तूल गया।
अब तो वो ऊपरवाला भी उम्मीद करना भूल गया,
खुद के ऐशो आराम में तू दुसरों का दर्द देखना भूल गया।
जिसने तुझको हैं बनाया, तूने उसकों ही बेच दिया,
धर्मो में सबकों बांटकर ,गलती उसी पर मथ दिया।
प्रकृति के हर कोने को तूने है छल्ली कर दिया,
अब जब है उसने रूप दिखाया ,तूने इल्ज़ाम उसी पर मढ़ दिया।
अब भी समय है संभल जा ,वरना कुछ बचा न पायेगा 
जिससे है तूने जन्म लिया उसी के हाथों अपना विनाश पायेगा।

                        
कामना पांडेय


लेखिका 12 वीं छात्रा है

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