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बलिया में लाल निशान छूने को आतुर हुई घाघरा की ऊफनाती लहरें




बांसडीह, बलिया: एक तरफ कोरोना  संकट की त्रासदी से लोग जूझ रहे हैं। तो दूसरी तरफ घाघरा नदी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। लगातार हो रही बारिश की वजह से घाघरा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। वहीं सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन घाघरा नदी समाहित हो चुकी है।

 बता दें कि बाँसडीह  तहसील के क्षेत्र के उत्तरी छोर पर घाघरा नदी उफान पर चल रही है। जिले के दक्षिणी छोर  पर गंगा नदी के जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है। और पूर्वी छोर पर दोनों नदियां एक साथ मिल जाती हैं। यानि तीनों तरफ से बलिया जनपद नदियों से घिरा हुआ है।ऐसे में घाघरा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया। उपजाऊ जमीन तो घाघरा नदी निगल ही लिया।अब घरों की बारी है। लोग सहमें हुए हैं। लोगो का कहना है कि कही 1998 की स्थिति न आ जाय । उस समय घाघरा ने खूब तबाही मचाई थी। लोग डरे है सहमे हुए है।

 कटान को रोकने के लिये शासन द्वारा समुचित ब्यवस्था नही हो पाई है। ऐसा लग रहा है कि किसानों के जो बचे खुचे खेत है उनको भी घाघरा ने अपने आगोश में ले लेगी।  बाढ़ खण्ड के मीटर गेज के अनुसार  14 जुलाई (मंगलवार ) की सुबह 8 बजे डीएसपी हेड पर 64.190 मापा गया, जब कि खतरा बिंदु 64.01 है, उच्चतम खतरा बिंदु 66.00 है।ऐसे में कटान से किसानों के खेत सैकड़ो बीघा रोज घाघरा नदी में विलीन हो रहे हैं. 56 गाँवो की लगभग 85,000 आबादी को घाघरा नदी ने अपने आगोश में लिया है। 

मनियर के दियारा क्षेत्र के ककरघट्टा ,रिगवन , छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं।  मंगलवार को मौके पर पहुँचे एस डीएम बाँसडीह दुष्यंत कुमार मौर्य , तहसीलदार गुलाब चन्द्रा , मनियर थानाध्यक्ष नागेश उपाध्याय ने पीड़ितों का हालचाल लिये। एस डीएम ने राहत दिलवाने की बात कही। अब देखने वाली बात होगी कि घाघरा नदी  अपना रौद्र रूप कहीं 1998 की तरह न धारण कर ले।


 रिपोर्ट रविशंकर पांडेय

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