स्वास्थ विभाग निंद्रा से जागें वरना घट सकती है बड़ी घटनाएं
रसड़ा (बलिया ) ज़ी हां उत्तर प्रदेश के यशश्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हर समय एक ही बात कह रहे हैं सबका साथ , सबका विकास, पढ़ाई लिखाई दवाई सब मुफ्त देखा जाए तो स्वास्थ विभाग पर सरकार पानी की तरह पैसा बहा रहीं हैं ताकि इलाज के अभाव में किसी गर्भवती महिला का जान न जाये ज़ी हां रसड़ा तहसील क्षेत्र में छितौनी, कोटवारी मोड़,शकलही के समीप धड़ल्ले से चल रहे हैं प्राइवेट नर्सिंग होम डिलेवरी के नाम पर प्रसूता महिलाओं के परिजनों को शोषण करने का काम करते हैं ।
नार्मल डिलीवरी होने के बावजूद जच्चा बच्चा दोनों का जान का खतरा बताकर आपरेशन परिजन जान बचाने के लिए किसी भी जोखिम को उठाने के लिए तैयार हो जातें हैं और मुह मांगे रुपए देने के लिए तैयार हो जातें हैं आपरेशन के नाम पर वसूली के बाद खेल चालू होता है आप का केश गंभीर बताकर चिकित्सक कहते हैं हमारे बस की बात नहीं है हमारे यहां आक्सीजन की व्यवस्था नहीं है तब चिकित्सक कहते हैं मऊ लेकर जाइए ।
इस पूरे खेल में आशा बहुओं सहित एम्बुलेंस चालक का कमीशन देते हैं।
बाद में अगर सही सलामत जच्चा बच्चा होता है तो आशा बहुओं रजिस्टर में डिलेवरी दिखा देते हैं। डिलीवरी के नाम पर सरकार के तरफ़ से मोटी रकम मिल जाता है।
पिछले दिनों रसड़ा क्षेत्र में एक गर्भवती महिला के साथ लापरवाही बरतने का गम्भीर मामला प्रकाश में आया है । प्रवीण कुमार सिंह पुत्र रमेश सिंह ग्राम राेहना, थाना कोतवाली रसड़ा ने जिलाधिकारी बलिया काे प्रवीण ने पत्र में गम्भीर आराेप लगाते हुए गुहार लगाया है
प्रवीण सिंह ने यह भी गम्भीर आराेप लगाया है कि डाॅ. प्रीति सिंह आजमगढ़ के सठियाव में राजकीय चिकित्सक के रुप में कार्यरत रहते हुए अवैधानिक रुप से उक्त नर्सिंग हाेम में प्राइवेट प्रैक्टिस करती हैं. पीड़ित ने जिलाधिकारी बलिया काे पत्र साैंपकर न्याय की मांग करते हुए डाॅ. प्रीति सिंह व नर्सिंग हाेम के संचालक के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है.
हालांकि अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए हमने नर्सिग होम व डाक्टर से उनका पक्ष जानने की कोशिश किया मगर सम्पर्क नहीं हो सका।
इस सम्बन्ध में रसड़ा सीएचसी अधीक्षक पी० सी० भारती से दूरभाष पर सम्पर्क कर पूछा कि साहब रसड़ा क्षेत्र में कितना वैध नर्सिंग होम संचालित हो रही है।
इसका सख्या बतलाने का कष्ट करें ।
मगर उन्होंने कहा हमें मालूम नहीं है कार्यालय से पूछ कर शाम को बताते हैं मगर जब शाम को संवाददाता ने फोन कर जानकारी चाही तो हुजूर मोबाइल रिसीव नहीं किए वैसे बताते चलें कि जहां एक तरफ़ दो महीने से दिवाल पर पुराने अधीक्षक का नाम दर्ज है । रसड़ा में मानक के बगैर व सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है और तो और 10 बेड का नर्सिग होम तीन दर्जन मरीजों को एडमिट कर पैसो के लिए मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
अब देखना है कि खबर पर विभागीय अधिकारी निद्रा से जगते हैं या मुख्यमंत्री के सपनों पर पानी फेरते है।
पिन्टू सिंह
No comments