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मनरेगा मजदूरों के हक पर डाका, जेसीबी से करा दी नहरों की सफाई



रतसर (बलिया) आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे मनरेगा के मजदूरों की उम्मीद तब टूट गई जब छोटी व बड़ी नहरों की सफाई जेसीबी से करा दी गई। जिससे मजदूरों को काम न मिलने से वे दर - दर की ठोकरें खाने को मजबूर है वहीं विभाग का कहना है कि मशीनों से काम करवाना मजबूरी है। यह पहली बार ही हुआ है जब बड़ी नहरों के साथ छोटी नहरों में भी जेसीबी से सफाई कराने का कार्य कराया गया। अभी तक छोटी नहरें मनरेगा के मजदूरों से ही कराई जाती रही हैं। इसका मजदूरों को भी इंतजार रहता था।अब सिचाई विभाग की क्या मंशा है ये वो ही जाने। तुर्तीपार पार से निकलने वाली रतसर इलाके की सबसे बड़ी नहर की सफाई तो जेसीबी से कराई दी गई। इसके साथ ही इलाके की छोटी नहर रतसर - सुखपुरा रजवाहा के साथ ही अन्य हर छोटी नहर जो अब तक मनरेगा के मजदूरों से कराई जाती थी। इस बार जेसीबी से करा दी गई। जबकि इससे पहले छोटी नहरों की सफाई के लिए मनरेगा मजदूरों को लगाया जाता था। नहरों की सफाई में काम मिलने की उम्मीद भी मनरेगा के मजदूरो की रहती थी। मजदूरों से छोटी नहरों की सफाई भी काफी बेहतर होती थी। लेकिन इस बार सिचाई विभाग व जिला प्रशासन की क्या मंशा रही कि जेसीबी चलाकर मनरेगा के मजदूरों की उम्मीद ही नही टूटी, बल्कि नहरों की बेहतर सफाई न होने से किसानों की तरफ से कार्य पर सवाल उठ रहे है। छोटी नहरों की जेसीबी से सफाई का निर्णय तब लिया गया जब कोविड-19 को लेकर करीब 5 महीने तक चले लाकडाउन में किसी को कार्य नही मिला। जिससे मजदूर आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे है।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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