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किसान आंदोलन में मृत किसानों को बलिया के शहीद पार्क मे दी गयी श्रद्धांजलि


बलिया। दिल्ली के बॉर्डर पर 3 कृषि कानूनों को रदद् करने की मांग को लेकर देश भर के किसान डटे हुए हैं।इस कड़ाके की ठंड में, खुले आसमान के नीचे आंदोलन रत है।3 दर्जन से अधिक किसानो की असामयिक मृत्यु हो गई।आज पूरे देश में आंदोलन में मृत हुए किसानों को श्रधंजलि दी जा रही है।इसी क्रम में बलिया के शहीद पार्क मे मृत किसानो को श्रधंजलि दी गयी।

वक्ताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों में क्रमशः ठेका कानून के कारण देश भर के किसान, कारपोरेट घरानों के सड़कों पर खेती करने को बाध्य होंगे।किसानों को कॉरपोरेट्स से कर्ज लेंने होंगे ब्याज भी देने होगा।किसान को अपनी जमीन को गिरवी रखना होगा क्योंकि पूंजीपति किसान को बीज ,खाद, सिंचाई औऱ कृषि उपकरण देंगे।दूसरा, मंडी और एम एस पी की व्यवस्था में सरकार ने कारपोरेट घरानों को किसान की उपज खरीदने की छूट देती है।मंडी समितियाँ समाप्त हो जाएगी।इसलिए किसान मांग कर रहे कि एम एस पी की गारण्टी दी जाय ।उससे कम दाम पर जो खरीदारी करेगा उसके ऊपर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाय।

आवश्यक वस्तु अधिनियम का संशोधन कर, आवश्यक वस्तुओंकी सूची से  आलू, प्याज, गेंहू, चावल, दालो को आवश्यक वस्तु की सूची से निकाल दिया गया।जिससे पुंजिपतियो व सेठों को जमाखोरी की  मिल गयी।अब राशन की दुकानें भी समाप्त हो जाएगी।गरीब भूखों मरेगें।

अध्यक्षता परमात्मा नन्द राय व। संचालसी क्रम में तेजनारायण ने किया।

इसी क्रम में जमुआ,बैरिया, मुरली छपरा, बेलहरी दुबहर, सोहव,गड़वार ,चिलकहर, आदि कई जगहों पर शहीदों को श्रधंजलि दी गई।इन सभाओं मे राजशेखर, लक्ष्मण यादव, रामकृष्ण यादव, अमरेंदर सिंह ,रविन्दर सिंह ,संतोष सिंह ,सरदार कन्हैयालाल, सरदार जीतसिंह,मिथिलेश सिंह,कमलाशंकर ओझा,भुवनेश्वर सिंह ,रामप्रताप सिंह, सत्येंद्र सिंह,कृष्णबिक्रम सिंह ,राघवेंद्र कुमार,रामनारायण सिंह आदि उपस्थित थे।

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