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बिहार की रानी को मिला दूसरा जीवन, जलकुंभी के फल से ठीक हुआ कैंसर, जाने कहाँ हुआ यह चमत्कार

 



बलिया: यह चमत्कार नहीं तो और क्या है, क्योंकि मेडिकल सांइस और डाक्टरों के मुताबिक जिस रानी मिश्रा को बेड पर रहते हुए ही कुछ ही दिन जीना था, उसको पकड़ी धाम स्थित माँ काली की कृपा से न सिर्फ दूसरा जीवन मिला बल्कि अब वह अपने पैरों पर चल फिर भी रहीं हैं. लेकिन इस चमत्कार को फलीभूत करने में पकड़ी धाम के पुजारी और माँ काली के अनन्य भक्त रामबदन भगत की भी बड़ी भूमिका रही. जिनके प्रयास से रानी मिश्रा माँ काली की कृपा पात्र बन सकीं.



अपनी पीड़ा को शब्दों में बयां करतें हुए बिहार के बक्सर जिला के धनंजयपुर गाँव निवासी रानी मिश्रा पत्नी कृष्ण कुमार मिश्रा कहतीं है कि पहले उन्हें ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) की शिकायत हुई. स्थानीय चिकित्सकों से इलाज कराने के बाद भी जब कोई राहत नहीं मिलीं तो बक्सर के जिला अस्पताल में उपचार कराने गयी, जहाँ डाक्टरों ने स्तन कैंसर की बात बताई. रानी बताती है कि इसके बाद


उसके घर वाले उसे पटना लेकर गए, जहाँ डाक्टरों ने आपरेशन करके कैंसर वाले हिस्से को निकाल दिया, लेकिन बीमारी नहीं रुकीं और धीरे धीरे कैंसर हड्डी में फैलने लगा, जिसके कारण मुझे बैठने और चलने में परेशानी होने लगी. बाद में डॉक्टरों ने कहा कि सिर्फ बीमारी अब ठीक नहीं होगी और  तुम्हारा जीवन कुछ दिन और शेष है. बताती है कि इसके बाद तो मानो उसके होश उड़ गए. लेकिन इसी दौरान  उनकी भाभी ने उन्हें पकड़ी धाम की काली मां के मंदिर में जाने की नसीहत दी. फिर सितम्बर 2020 में पति के साथ  पकड़ी धाम स्थित काली मंदिर पहुंची और मंदिर के पुजारी रामबदन भगत से अपनी व्यथा बताई.

मां काली के अनन्य उपासक रामबदन भगत ने पहले उन्हें मां का प्रसाद दिया और  फिर  कैंसर के उपचार के लिए जलकुंभी के 100 से 150 फलों को सिलबट्टे पर पीस कर पीने और फकिया, गोली एवं तेल का सेवन करने को कहा.  इसके बाद रानी करीब 3 माह तक  जलकुंभी के फल को पीसकर पीती रही.

परिणाम स्वरूप जिस रानी मिश्रा को डॉक्टरों ने यह कह कर लौटा दिया था कि अब वह महज 2 से 3 माह की मेहमान है, वह पिछले एक साल से भला चंगा होकर घूम रही है. रानी बताती हैं कि उनके लिए तो जलकुंभी का फल अमृत समान है. वह दूसरे कैंसर पीड़ित रोगियों को भी जलकुंभी के फल के सेवन की सलाह देती हैं.



डेस्क







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