माँ की ममता से कुछ अनोखा नहीं होता है, उम्मीदों के इमारत में झरोखा नहीं होता है
बलिया। भृगु-दर्दर क्षेत्र में वैदिक प्रभात फाउंडेशन के कार्तिक कल्पवास शिविर में देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ फाउंडेशन के संस्थापक बद्री विशाल जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
अध्यक्षता कर रहे डाॅ भोला प्रसाद आग्नेय ने सुनाया- हम सबकी पहचान है गंगा, भारत देश की शान है गंगा।
प्रख्यात कवि बृजमोहन प्रसाद अनारी ने जयति जयति शिवशंकर भोला, जय हो भाँग अहारी की.. गाकर भगवान शिव के सम्पूर्ण रुप का शब्द चित्रण किया।
शायर जाकिर हुसैन आज़मी ने अपनी गजल, तनहा कभी रहे हैं ना तनहा रहेंगे हम। कैसे बिछड़ के आप से जिन्दा रहेंगे हम। प्रस्तुत कर हिन्दू-मुस्लिम के मुहब्बत को कायम रखने की गुजारिश की।
शायर शाद बहराइची की, चमकते चाँद सा चेहरे का हाला छीन लेती है। गरीबी है कि आँखों से उजाला छीन लेती है। ने गरीब की व्यथा को बखूबी उकेरा ।
हास्य कवि जितेन्द्र त्यागी ने माँ की ममता से कुछ अनोखा नहीं होता है, उम्मीदों के इमारत में झरोखा नहीं होता है। प्रस्तुत कर माँ की महिमा गाई।
लाल साहब सत्यार्थी ने, नेताओं का चरित्र चित्रण करते हुए कहा, द्वेष दम्भ छल से भरी वेश्या सी मुस्कान, विधवा से आँसू दिखे नेता की पहचान ।
रमाशंकर मनहर ने हिंसात्मक कार्रवाइयों को निशाना बनाया। बढ़ रहा आज हिंसा अनल जो, छोड़ नफरत बुझाना पड़ेगा। दोस्तों गर न ऐसा हुआ तो, मूल्य महंगा चुकाना पड़ेगा।
भोजपुरी भूषण नन्दजी नंदा ने चलते रहने की बात कही, सत्य जीवन के रहिया पे चलऽ, मंजिल दूर रहे केतनो।
श्रीराम सरगम ने गाया, वो शब्द कहाँ से लाऊं, जो दिलों को जोड़े, आग लगे उन शब्दों में जो दिलों को तोड़े।
डाॅ नवचंद तिवारी ने कल्पवास की परम्परा को याद किया, जन जन का अरमान है ददरी, बलियाटिक पहचान है ददरी, ऋषियों का अभिमान है ददरी।
कवि प्रभाकर पपीहा, सत्यार्थी, सरगम, अनारी, आग्नेय, मनहर से सजे कवि सम्मेलन का संचालन शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने किया।
इस आयोजन में गाटर चौधरी, पीयूष, कृष्णा, गौरव, अभय, बेली का प्रयास उल्लेखनीय रहा।
अगला कार्यक्रम
*16नवम्बर मंगलवार को कार्तिक कल्पवास शिविर में भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का विश्वविख्यात नाटक बिदेशिया का मंचन जागरुक संस्थान बलिया के द्वारा 05 बजे सायं से होगा।*
रिपोर्ट धीरज सिंह
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